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मेकाहारा में किडनी के कैंसर का सफल ऑपरेशन

रायपुर | एजेंसी: रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर्स ने किडनी के कैंसर का सफल ऑपरेशन कर एक मरीज की किडनी बचा ली. क्रोनिक किडनी डिसीज नामक बीमारी से पीड़ित सिविल लाइंस निवासी 37 वर्षीय भीखम साहू अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं. जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी जाएगी.

अंबेडकर अस्पताल में नेफ्रोन स्पेरिंग नेफ्रक्टमी पद्धति से किया गया यह पहला ऑपरेशन है. कैंसर संक्रमित किडनी को बचाने के लिए ऑपरेशन में विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया गया. नेफ्रोन स्पेरिंग नेफ्रक्टमी पद्धति से डॉ. अंबेडकर अस्पताल में यह पहला ऑपरेशन था. इसका खर्च निजी अस्पतालों में 2-3लाख रुपए तक है, जबकि अंबेडकर अस्पताल में बीपीएल कार्डधारियों का ऑपरेशन नि:शुल्क होता है.

भीखम के अनुसार वे कई महीनों से किडनी संबंधी समस्या से पीड़ित थे. उन्होंने अंबेडकर अस्पताल में जांच करवाई, तो नेफ्रोलॉजी यूनिट में भेजा गया, जहां डायलिसिस चला. अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता ने भीखम की बीमारी को देखते हुए, उन्हें जनरल सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया. वहां उनका सीटी स्कैन, खून जांच, एंजियोग्राफी हुई. फिर सर्जरी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिप्रा शर्मा और उनकी यूनिट के डॉक्टर्स ने रिपोर्ट का अध्ययन किया.

उन्होंने पाया कि भीखम की दाहिनी किडनी में साढ़े तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर (कैंसर) है, जिसे निकालने के लिए ऑपरेशन करना होगा. ऑपरेशन ऐसा कि किडनी बचाई जा सके. इसके लिए डॉक्टर्स ने न्यूरो सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली ‘चूसा नाइफ’ (एक उपकरण) का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया. सर्जरी भी न्यूरो सर्जरी ओटी में की गई. किडनी से ट्यूमर को धीरे-धीरे ‘चूसा नाइफ’ से हटाया गया. इस तरह कि नसों को कोई नुकसान न पहुंचे. इस दौरान अगर नस कट जाती तो स्थिति को संभाल पाना मुश्किल हो जाता.

ट्यूमर को हटाने के बाद किडनी का करीब 1 सेंटीमीटर हिस्सा भी काटा गया ताकि दोबारा कैंसर की आशंका न रहे. ऑपरेशन तीन घंटे चला. ऑपरेशन टीम में जनरल सर्जन डॉ. शिप्रा शर्मा, ओंको सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. नरेंद्र नसिर्ंग, डॉ. शांतनु तिवारी और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. दीपक सिंह शामिल थे. डॉक्टर्स ने बताया कि भीखम की किडनी पूरी तरह ठीक है और बराबर काम कर रही है.

डॉ. शांतनु तिवारी ने बताया कि सर्जरी के पहले खून की व्यवस्था की गई थी. लेकिन ‘चूसा नाइफ’ (एक अत्याधुनिक उपकरण) से ऑपरेशन करने में खून का स्राव (ब्लीडिंग) बहुत कम हुआ. मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी. डॉक्टर्स ने बताया कि कैंसर पीड़ित ने समय पर जांच करवा ली और समय पर उसका ऑपरेशन किया गया, वरना कैंसर हार्ट तक पहुंच सकता था और हार्ट से मस्तिष्क तक. फिर बड़ी सर्जरी करनी पड़ती. पीड़ित बचता या नहीं, गारंटी नहीं होती. डॉक्टर्स के मुताबिक किडनी का कैंसर 7 सेंटीमीटर तक बड़ा हो सकता है. कैंसर की इतनी बड़ी स्थिति में किडनी नहीं बचाई जा सकती.

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