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जीपी सिंह को बहाल करो- CAT

रायपुर | संवाददाता : भ्रष्टाचार और देशद्रोह के आरोप के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्त किए गए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस जीपी सिंह को CAT यानी केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. उनसे जुड़े मामलों को चार सप्ताह के भीतर निराकृत कर उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया गया है.

एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया रहे जीपी सिंह को पहले भूपेश बघेल की सरकार ने निलंबित किया, उन्हें गिरफ्तार किया गया, वे लगभग 120 दिनों तक जेल में रहे और फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.

1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक के पद पर कार्यरत थे. इस पद पर आने से पहले वे राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध ब्यूरो के प्रमुख भी थे.

जुलाई 2021 में इसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने उनके रायपुर स्थित घर समेत, पंद्रह से भी अधिक अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की थी.

तीन दिन तक चली छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दावा किया कि इस छापेमारी में दर्जनों प्लॉट, गाड़ियां, बीमा के काग़ज़ात, उद्योगों में निवेश, नक़दी और सोना बरामद किया गया है.

इसके बाद पुलिस ने, गुरजिंदर पाल सिंह के घर के पीछे से बरामद डायरी और फटे हुए कुछ पन्नों को आधार बना कर उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज़ किया.

राजद्रोह की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में कहा गया कि गुरजिंदर पाल सिंह द्वारा नेताओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणियां लिखी गई हैं और कथित रूप से साज़िश की योजनाओं के बारे में लिखा गया है.

आरोप है कि डायरी और दूसरे काग़ज़ों में राज्य के विभिन्न विधायकों और विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों के संबंध में गोपनीय विश्लेषण, शासकीय योजनाओं, नीतियों और सामाजिक, धार्मिक मुद्दों पर गंभीर टिप्पणियां की गई थी.

हालांकि इस मामले में जीपी सिंह ने अपने को फंसाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर, उनके ख़िलाफ़ दर्ज सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध किया था.

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