छत्तीसगढ़

हड़ताल से वेदांता पावर प्लांट संकट में

कोरबा | संवाददाता: वेदांता की बाल्को पावर प्लांट की एक यूनिट तीन दिनों से ठप्प है. इसके अलावा हड़ताल से एल्युमिनियम का उत्पादन भी घट गया है. यदि ठेका मजदूरों की हड़ताल जारी रहती है तो वेदांता बाल्कों स्थित पावर प्लांट के पूरे बंद हो जाने के आसार हैं. गौरतलब है कि ठेका मजदूरों को नियमित करने तथा समान काम के लिये समान वेतन की मांग पर वेदांता के मजदूर पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं.

हड़ताली मजदूर न काम पर जा रहें हैं न ही अपने घर लौट रहें है वरन् वे इंटक यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठ गयें हैं. वेदांता पावर प्लांट की हालत यह है कि अब नियमित कर्मचारियों से 12 से 14 घंटे काम लेकर संयंत्र को जीवित रखा गया है. हड़ताल के कारण पावर तथा एल्युमिना उत्पादन के काम पर असर पड़ रहा है.

गौरलतब है कि वेदांता के विभिन्न संयंत्रों में कार्य करने वाले 3500 से 4000 के करीब मजदूर हड़ताल पर हैं. हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि वेदांता के बाल्कों स्थित 540 मेगावाट क्षमता के संयंत्र के 135 मेगावाट क्षमता वाली यनिट नंबर 4 मंगलवार शाम से ही ठप्प पड़ी है.

हड़ताल के कारण उत्पन्न समस्या से निपटने के लिये कोरबा के एसडीएम गजेन्द्र सिंह ठाकुर ने त्रिपक्षीय वार्ता बुवाई थी परन्तु उसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. वेदांता के प्लांट में चलने वाली इस हड़ताल के कारणों पर यदि गौर करे तो स्पष्ट हो जायेगा कि ठेका मजदूरों की मांग एक तरह से जायज़ है. आखिरकार एक समान काम करने पर दुनिया भर में एक समान वेतन दिया जाता है फिर वेंदांता के प्लांट में ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है.

इससे जुड़ा हुआ सवाल यह भी है कि कोरबा प्रशासन के हस्तक्षेप के बावजूद भी ठेका मजदूरों के जायज़ मांग पर वेदांता प्रबंधन क्यों चुप्पी ओढ़े बैठी है. यदि यह हड़ताल लंबा चला तो वेंदांता के पावर प्लांट के कई यूनिट बंद हो सकते हैं.

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