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मज़दूर दिवस पर बोरे-बासी की परंपरा जारी

रायपुर | संवाददाता: भूपेश बघेल सरकार द्वारा एक मई को बोरे-बासी खाने की जो परंपरा शुरु की गई थी, वह विष्णुदेव साय सरकार में भी जारी रही. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी बोरे-बासी खाया, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बोरे बासी खाते हुए अपनी तस्वीर साझा की.

लेकिन पिछली सरकार में हर तरफ बोरे-बासी खाते हुए अपनी तस्वीर और वीडियो साझा करने वाले राज्य के अधिकारी इस बार चुप्पी साधे रहे. अधिकांश ने न तो तामझाम के साथ बोरे-बासी खाने का आयोजन किया और ना ही उसकी कोई तस्वीर साझा की.

पिछली सरकार में गुड बुक में बने रहने की कोशिश करने के चक्कर में बोरे-बासी खाते हुए दिखने वाले अधिकांश लोगों ने इस बार बोरे-बासी से तौबा कर ली.

हालांकि मज़दूर दिवस के दिन मुख्यमंत्री विष्णु देव ने रायपुर में श्रमिकों के साथ बोरे-बासी खाया. उन्होंने इस कार्यक्रम में श्रमिकों को सम्मानित भी किया.

विष्णुदेव साय
विष्णुदेव साय

विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा सरकार ने श्रमिकों को 5 रुपए में भरपेट भोजन देने की जो सुविधा शुरू की थी, वह आज भी जारी है.

उन्होंने कहा कि मैंने भारत सरकार में 2 साल लेबर मिनिस्ट्री में भी बतौर मंत्री काम किया. मैं गांव का रहने वाला हूं. श्रमिकों की समस्या हम समझते हैं. श्रमिक झोपड़ी में रहकर महल बनाते हैं. जो विकास आज हम देखते हैं, वो श्रमिकों के पसीने की देन है.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायगढ़ में कांग्रेस विधायक उमेश पटेल और कांग्रेस नेता प्रकाश नायक के साथ बोरे बासी खाई. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-ठंडा मतलब बोरे बासी. प्रदेश के श्रमिक हमारा अभिमान हैं. बोरे बासी छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़ा भोजन है. इसे सभी को खाना चाहिए.

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