छत्तीसगढ़ विशेष

छत्तीसगढ़ में बाबा से लेकर पत्रकार तक पर राजद्रोह

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में भी राजद्रोह के कई मामले दर्ज हैं. पिछले कुछ सालों में तो राज्य में पत्रकार से लेकर आईपीएस और बाबाओं तक के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है.

कांग्रेस पार्टी ने राजद्रोह के मामले को खत्म करने की बात कही थी. लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार में बिजली कटौती को लेकर सोशल मीडिया में बिजली कटौती को लेकर टिप्पणी करने पर राजनांदगांव के एक व्यक्ति पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया था.

उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में ऐसे मामलों में राहत मिल सकती है.

गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार क़ानून की समीक्षा नहीं कर लेती तब तक राजद्रोह क़ानून की धारा के तहत कोई नया एफ़आईआर दर्ज़ ना हो.

इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह क़ानून के तहत लंबित सभी मामलों में आगे कोई कार्रवाई ना हो. अदालत ने यह भी कहा कि इस धारा के तहत दर्ज़ मामले में जेल में बंद लोग ज़मानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ के कुछ चर्चित मामले

छत्तीसगढ़ में माओवादियों का समर्थन करने के आरोप में डॉक्टर विनायक सेन के ख़िलाफ़ तमाम तरह की धाराओं के अलावा राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. विनायक सेन अभी जमानत पर हैं.

बस्तर की स्कूल शिक्षिका सोनी सोरी के ख़िलाफ़ भी राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. उनकी गिरफ़्तारी के बाद देश भर में मामला उठा और रातों-रात एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उनकी पहचान बनीं.

उन्होंने जमानत पर रिहा होने के बाद आदिवासी समाज के लिए काम करना शुरु किया. उन्होंने आम आदमी पार्टी में भी काम किया. लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पिछले साल उनके ख़िलाफ़ दर्ज तमाम मामलों में उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया गया.

जस्टिस लोया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ फ़ेसबुक पर कथित रूप से आपत्तिजनक कार्टून पोस्ट करने के आरोप में कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला के ख़िलाफ 28 अप्रैल 2018 को कांकेर में मामला दर्ज किया गया था. फिलहाल वे जमानत पर हैं.

2018 में ही छत्तीसगढ़ में पुलिस जवानों के परिवार वालों के आंदोलन को लेकर बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. बाद में उनके साथी वीरेन्द्र कुर्रे के खिलाफ भी राजद्रोह का मामला दर्ज कर किया गया था. रायपुर की आजाद चौक पुलिस ने वीरेन्द्र कुर्रे के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार किया था.

बिजली कटौती की आलोचना पर राजद्रोह

सबसे चकित करने वाला मामला राजनांदगांव के रहने वाले मांगेलाल अग्रवाल का था. उन्होंने बिजली कटौती को लेकर सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट की थी, जिसके बाद 13 जून 2019 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

मांगेलाल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने इन्वर्टर कंपनियों से पैसे लिए हैं, इसलिए बिजली कटौती हो रही है.

राजनांदगांव जिले के मुसरा डोंगरगढ़ निवासी मांगेलाल अग्रवाल की गिरफ़्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार की चौतरफा आलोचना हुई. इसके बाद मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हस्तक्षेप करना पड़ा. उनके कहने पर मांगेलाल अग्रवाल के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला हटाया गया.

आईपीएस पर भी राजद्रोह

पिछले साल छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है.

वे कभी जिस एसीबी के मुखिया थे, उसी एसीबी ने रायपुर के कोतवाली थाने में उनके ख़िलाफ मामला दर्ज करवाया था.

आरोप है कि छापे के दौरान जीपी के घर से कुछ चिट्ठियां मिली थीं, जिसमें सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने की बात कही गई थी.

जीपी सिंह अभी भी जेल में हैं.

कालीचरण पर राजद्रोह

दिसंबर 2021 में रायपुर में आयोजित धर्म संसद के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ अमर्यादित टिप्पणी करने वाले महाराष्ट्र के कालीचरण नामक एक बाबा के खिलाफ टिकरापारा थाना में राजद्रोह की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था.

कालीचरण फिलहाल जमानत पर हैं और उन्होंने फिर दुहराया है कि वे अपने कहे पर कायम हैं.

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