राष्ट्र

उत्तराखंड में जनाकांक्षाओं का खून: रावत

देहरादून | समाचार डेस्क: हरीश रावत ने कहा उत्तराखंड में जनाकांक्षाओं का खून हुआ है. उन्होंने इसके केन्द्र की मोदी सरकार तथा दो कांग्रेसी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है. केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जहां उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को सही ठहराया है वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी निंदा की है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने के लिए उनके दो पूर्व सहयोगियों विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर साजिश रची. मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्हें राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की कोई औपचारिक अधिसूचना अभी तक नहीं मिली है.

रावत ने विजय बहुगुणा को कुंठित और हरक सिंह रावत को इच्छाओं के हाथों अंधा करार दिया.

हरीश रावत, बहुगुणा की जगह मुख्यमंत्री बने थे.

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाने पर लिया.

राजभवन में राज्यपाल के.के.पॉल से मुलाकात के बाद रावत ने संवाददाताओं से कहा कि ‘मोदी के हाथ में उत्तराखंड की जनाकांक्षाओं का खून लगा हुआ है.’

रावत ने कहा, “यह शनिवार को ही स्पष्ट हो गया था. वे उत्तराखंड सरकार तथा राज्य के राज्यपाल को धमका रहे थे.”

रावत राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि वह लोगों के बीच जाएंगे और अपनी सरकार के खिलाफ भाजपा द्वारा रची गई साजिश का पर्दाफाश करेंगे.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा खुलेआम राज्यपाल को धमका रही है. उन्होंने कहा कि फरवरी 2014 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उत्तराखंड में उनकी सरकार गिराना चाहती थी.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के बजट में कटौती कर दी. यहां तक कि 2013 की बाढ़ में तबाह हुए केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और कुंभ मेले के धन में भी कटौती की गई.

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ औद्योगिक घरानों ने उनकी सरकार गिराने के लिए धन मुहैया कराया. असंतुष्ट कांग्रेस विधायक उनके खिलाफ बगावत करें, इसके लिए 25 करोड़ रुपये में सौदा किया गया.

रावत ने सवाल उठाया कि वह सोमवार को सदन में बहुमत परीक्षण से गुजरने वाले थे. ऐसे में एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगाने का क्या अर्थ है?

उन्होंने टीवी चैनल के संवाददाताओं से कहा कि वह उनके घर आकर खुद देखें कि भ्रष्टाचार के आरोपों के उलट वह किस तरह का साधारण जीवन जीते हैं.

जेटली ने सही ठहराया
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि “मेरा मानना है कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता.” उन्होंने कहा, “पिछले नौ दिनों से उत्तराखंड में संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है.”

जेटली ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में अध्यक्ष ने विनियोग विधेयक को पारित मान लिया, जबकि सदन में मौजूद आधा से अधिक सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की थी. उससे आधार पर मतदान होना चाहिए था.

वित्तमंत्री ने कहा, “उस दिन 18 मार्च को 68 विधायक सदन में थे, जिनमें से 35 ने मत विभाजन की मांग की थी.”

जेटली ने कहा, “विधायकों ने कहा था कि उन्होंने विनियोग विधेयक के खिलाफ मत दिया था. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला उदाहरण है, जब एक नाकाम विधेयक को बगैर मतदान के पारित घोषित कर दिया गया.”

केजरीवाल ने निंदा की
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर ट्वीट में कहा, “विश्वास मत हासिल करने से एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया? भाजपा लोकतंत्र विरोधी है. भाजपा/आरएसएस तानाशाही चाहते हैं; भारत पर राष्ट्रपति शासन के जरिए शासन करना चाहते हैं.”

उत्तराखंड में रविवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.

कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के नौ विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी.

विधानसभा में रावत को सोमवार को विश्वास मत हासिल करना था. इसलिए सोमवार का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था.

error: Content is protected !!