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एक महीने और जमानत पर रहेंगे क़ैदी

रायपुर | बीबीसी: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोरोना वायरस के मद्देनज़र अंतरिम ज़मानत या पैरोल पर छोड़े गये बंदी और क़ैदी अब अगले एक महीने तक रिहाई का लाभ ले पायेंगे. इन बंदियों और क़ैदियों की ज़मानत 30 अप्रैल को समाप्त हो रही थी. यानी 30 अप्रैल तक इन्हें जेल लौटना था.

लेकिन मंगलवार को कोविड-19 से जुड़ी जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ज़मानत और पैरोल की मियाद 31 मई तक बढ़ा दी है. हाईकोर्ट में इस बात पर बहस हुई कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाकर 3 मई कर दी गई है. ऐसे में 30 अप्रैल तक इन बंदियों और क़ैदियों की जेल वापसी से ज़मानत का उद्देश्य पूरा नहीं होता.

राज्य सरकार की तरफ़ से यह भी तर्क दिया गया कि 30 अप्रैल तक जो क़ैदी और बंदी वापस जेल आयेंगे, उन्हें आइसोलेशन में रहना पड़ेगा क्योंकि ये सभी क़ैदी और बंदी ज़मानत अवधि के दौरान कई लोगों से मिले होंगे. ऐसे में इन्हें सीधे दूसरे बंदियों के साथ रखे जाने की स्थिति में जेल के दूसरे बंदियों में भी संक्रमण का ख़तरा हो सकता है.

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस गौतम भादुड़ी की पीठ ने कहा कि क़ैदियों को अगर फिर से जेल भेजा जाता है तो कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं. इसके बाद अदालत ने हाईपावर कमेटी को क़ैदियों और बंदियों की ज़मानत की अवधि को 31 मई तक बढ़ाने का आदेश जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एक याचिका की सुनवाई के बाद जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों को लेकर चिंता जताई थी और राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये क़ैदियों और बंदियों को ज़मानत या पैरोल पर छोड़ा जाये.

इस आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा गठित हाईपावर कमेटी ने 1,478 क़ैदियों और बंदियों को अंतरिम ज़मानत और पैरोल पर रिहा किया था.

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