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कोरोना का किसानों पर कहर

रायपुर | संवाददाता: क्या कोरोना के कारण जिन किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है, उन्हें फसल बीमा की या सरकारों की ओर से कोई राहत मिलेगी? छत्तीसगढ़ के बड़े किसानों में यह सवाल तारी है लेकिन किसानों को इस सवाल का जवाब देने वाला अभी कोई नहीं है.

छत्तीसगढ़ में कोरोना की मार किसानों पर सबसे अधिक पड़ रही है. खेतों में गेंहू और सब्जियां तैयार हैं लेकिन उन्हें तोड़ने के लिये मज़दूर नहीं है. किसान संगठनों का कहना है कि लगभग 700 करोड़ रुपये की सब्जी खेतों में बर्बाद हो रही है.

पिछले कुछ महीनों में बार-बार असमय बारिश और ओले के कारण किसान पहले से ही परेशान थे, अब कोरोना ने उनकी कमर तोड़ कर रख दी है. दुर्ग, बस्तर, महासमुंद, बिलासपुर, बलौदाबाजार, रायगढ़, कोरबा और रायपुर में सब्जी उगाने वाले किसानों की हालत ख़राब है.

लॉकडाउन के कारण खेतों में फसल की तुड़ाई करने के लिये मज़दूर नहीं मिल रहे हैं. खेतों में फसल पड़ी-पड़ी खराब हो रही है. कुछ इलाकों में मज़दूर मिलने के बाद उनकी ट्रांसपोर्टिंग नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि कई इलाकों में किसानों ने फसलों को पशुओं को खिलाना शुरु कर दिया है.

कई ज़िलों में गेहूं की फसल पक कर तैयार है लेकिन उनकी कटाई के लिये मज़दूर नहीं हैं.

छत्तीसगढ़ में 1850 हज़ार हेक्टेयर में रबी की फसल लगाये जाने का अनुमान है. अकेले 430 हज़ार हेक्टेयर में चने की फसल लगाई गई थी. वहीं 300 हजार हेक्टेयर में तिलहनी फसलें लगाई गई थीं. 390 हज़ार हेक्टेयर में अनाज लगाये जाने का अनुमान है.

फसलों का हाल ये है कि अकेले महानदी के पाल कछार इलाके में 10 हजार टन तरबूज की फसल खेतों में पड़ी है. यहां के तरबूज खाड़ी देशों में निर्यात होते थे. लेकिन इस साल ऐसा होने की उम्मीद नहीं है. किसी तरह फसल टूट कर राज्य के बाजारों तक ही पहुंच जाये तो किसानों की लागत निकल जायेगी.

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