छत्तीसगढ़ विशेष

परसा खदान की स्वीकृति रद्द करने केंद्र को चिट्ठी

रायपुर | संवाददाता: पिछले कई सालों से चल रहे आंदोलन के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा कोयला खदान की वनभूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति निरस्त करने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है.

इसके अलावा सरकार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के वन भूमि व्यपवर्तन प्रस्ताव के पंजीयन की कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए हैं.

छत्तीसगढ़ में वन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने 31 अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन महानिरीक्षक को इस आशय का एक पत्र लिखा है.

इस पत्र में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, मंत्रालय, दिल्ली के पत्र क्रमांक 8-36/2018/एफसी दिनांक 21.10.2021 का हवाला दिया गया है.

पत्र में कहा गया है- हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जनविरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है. ऐसे में जन विरोध, कानून व्यवस्था एवं व्यापक लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए परसा खुली खदान परियोजना (रकबा 841.548 हे.) में संदर्भित पत्र के माध्यम से जारी वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने के संबंध में उचित कार्यवाही करने का कष्ट करें.


गौरतलब है कि हसदेव अरण्य के परसा और केते एक्सटेंशन को लेकर पिछले एक दशक से भी अधिक समय से स्थानीय आदिवासी विरोध कर रहे हैं.

इन दोनों कोयला खदानों को राजस्थान राज्य को आवंटित किया गया है, जिसका एमडीओ अडानी समूह के पास है.

राज्य की विधानसभा ने इसी साल जुलाई में हसदेव अरण्य में आवंटित सभी कोयला खदानों को निरस्त करने का संकल्प पारित किया था. लेकिन केंद्र ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया.

इसके बाद राज्य सरकार ने अब जा कर केंद्र को फिर से पत्र लिखा है.

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