बस्तर

कर्मचारियों की हड़ताल जारी

जगदलपुर | छत्तीसगढ़ संवाददाता: अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा बस्तर संभाग के पदाधिकारियों की मंगलवार को यहां उच्च स्तरीय कमेटी के साथ बैठक विफल रही. कमेटी ने उन्हें आश्वासन देते हुए सिर्फ इतना कहा कि वे निर्णय लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं. उनकी मांगों से शासन को जरूर अवगत करा दिया जाएगा. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सकारात्मक चर्चा नहीं होने पर वे सभी बुधवार से अपना आंदोलन और तेज करेंगे.

संयुक्त मोर्चा के संरक्षक चंद्रिका सिंह, अध्यक्ष डी.के.परासर व सचिव शिव मिश्रा ने बताया कि बस्तर संभाग के करीब 55 हजार अधिकारी-कर्मचारी जोखिम भत्ता, चार स्तरीय वेतनमान व अनुसूचित क्षेत्र भत्ता की मांग को लेकर करीब दो माह से हड़ताल पर हैं. 14 से 16 मई तक उन सभी ने काली पट्टी लगाकर काम किया. 24 मई को जिला स्तरीय धरना-प्रदर्शन किया गया. 18 जून को संभाग स्तरीय रैली निकाली गई. इसके बाद भी मांगें पूरी नहीं होने पर वे सभी 5 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

पदाधिकारियों ने बताया कि लगातार हड़ताल के चलते मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देश पर चर्चा के लिए चार सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है. कमेटी ने मंगलवार को उन्हें रायपुर बुलाया था. इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) डी.एस.मिश्रा एवं सदस्य प्रमुख सचिव (गृह) एन.के.असवाल, सचिव मनोज पिंगुआ, सचिव आर.के.पिस्दा ने कर्मचारी मोर्चा के पदाधिकारियों की मांगों पर करीब घंटे भर चर्चा की. पदाधिकारियों ने अपनी तीनों मांगों से अवगत कराते हुए उसे जल्द पूरी करने की मांग की.

कर्मचारी नेताओं ने बताया कि उनकी मांगों को सुनने के बाद कमेटी के सदस्य कोई जवाब नहीं दे पाए. वे बाद में उनकी बात सुनने भी तैयार नहीं हुए. इस तरह उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक रास्ता नहीं निकल पाया. कमेटी के सदस्य उन्हें आश्वासन ही देते रहे और यह कहते रहे कि उनकी मांगों को पूरा करने के लिए वे अधिकृत नहीं है. अंत में यह कहकर उठ गए कि उनकी सभी मांगों से शासन को अवगत करा दिया जाएगा.

संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि वे सभी बस्तर संभाग में कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों को 45 प्रतिशत जोखिम भत्ता, नए वेतनमान पर 20 प्रतिशत अनुसूचित क्षेत्र भत्ता (जो वर्तमान में 1981 के वेतनमान पर दिया जा रहा है) एवं पूरे सेवा काल में चार स्तरीय वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं. अधिकारी उनकी दिक्कतों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. वे सभी वहां कई असुविधाओं से जूझ रहे हैं. उच्च शिक्षा के लिए वहां कोई बड़े संस्थान नहीं है. चिकित्सा सेवा के लिए जगदलपुर में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं लेकिन वहां डॉक्टर के साथ अन्य सुविधाएं नहीं है. दिक्कत में उन्हें तीन सौ किलोमीटर दूर राजधानी तक दौड़ लगानी पड़ती है.

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