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ओमिक्रॉन हो तो क्या करें?

रायपुर | संवाददाता: ओमिक्रॉन के लक्षण समझ में आने के बाद अनावश्यक भ्रांतियों से बचना सबसे ज़रुरी है.जिनमें ओमिक्रॉन संक्रमण के सामान्य लक्षण हों, ऐसे अधिकतर लोग होम आइसोलेशन में रह कर, दवा का उपयोग करते हुए स्वस्थ हो सकते हैं.

स्वास्थ्य विभाग ने इन परिस्थितियों को लेकर गाइडलाइन जारी किए हैं.

बिना लक्षण वाले या मामूली लक्षण वाले ऐसे ओमिक्रॉन मरीज़ जो 60 साल से कम उम्र के हैं और किसी अन्य बीमारी से ग्रसित नहीं हैं, उन्हें आमतौर पर होम क्वारंटीन में रहने की सलाह दी गई है.

हालांकि किसी मरीज़ को होम क्वारंटीन में रहना चाहिए या फिर उसे एहतियातन अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, यह डॉक्टर की सलाह के बाद ही तय किया जाना चाहिए.

कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉज़िटिव आने के बाद सबसे पहले मरीज़ ये जानें कि उन्हें घबराना नहीं है बल्कि संयम से काम लेना है.

वेरिएंट का पता जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद ही लगता है, इसलिए शुरुआती जांच रिपोर्ट में कोरोना वायरस के वेरिएंट का जिक्र नहीं होता, फिर भी ओमक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए एहतियात बरतना बेहद आवश्यक है.

1. मरीज़ को तुरंत अलग कमरे में आइसोलेट हो जाना चाहिए. इस कमरे में वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.

2. चाहे ओमिक्रॉन हो या कोरोना का कोई अन्य वेरिएंट, संक्रमित व्यक्ति को हमेशा मास्क लगाकर रखना चाहिए. खासकर किसी अन्य शख़्स के क़रीब आते वक्त उसे अच्छी तरह से मास्क लगाकर रखना चाहिए.

3. मरीज़ को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए. अपना ऑक्सीजन लेवल, हार्ट रेट आदि कुछ घंटों के अंतराल पर लगातार चेक करना चाहिए. किसी भी तरह की दिक्कत होने या असहज महसूस करने पर तत्काल देखभाल करने वाले व्यक्ति या डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी चाहिए.

4. किसी भी संक्रमित शख़्स का इलाज डॉक्टरों की सलाह के अनुसार ही किया जाना चाहिए. खासकर दवाएं डॉक्टर की सलाह के बाद ही ली जानी चाहिए.

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हो गया है तो परिजनों को कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना अवश्य रखना चाहिए.

उन्हें मरीज़ की उचित देखभाल और संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए.

1. परिजनों को भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 14 दिन के लिए होम आइसोलेशन में चले जाना चाहिए, उसके बाद अगले 14 दिन तक या करोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने तक परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य की निगरानी करनी चाहिए.

2. कोरोना मरीज़ की देखभाल के लिए परिवार के किसी एक सदस्य को ज़िम्मेदार बना दिया जाना चाहिए. मरीज़ को जब भी सहायता की ज़रूरत हो, यह व्यक्ति उपलब्ध रहे.

3. मरीज़ के आसपास जाने वाले शख्स को तीन स्तरों वाला मास्क पहनना चाहिए. खासकर वह जब मरीज़ के पास हो तो N95 मास्क का इस्तेमाल करें. मास्क के बाहरी हिस्से को छूने से बचना चाहिए. पुराना, गंदा या गीला होने पर मास्क को तुरंत बदलना भी बेहद ज़रूरी है.

4. कोरोना से लड़ाई में सबसे महत्वपूर्ण है हाथ को बार-बार धोते रहना और साफ़ रखना. हाथ को साबुन या हैंडवॉश से कम से 40 सेकेंड तक लगातार धोएं. ऐसा दिन में कई बार करें, ख़ासकर मरीज़ के संपर्क में आने के बाद.

5. मरीज़ के शरीर से निकलने वाले द्रवों जैसे थूक या लार आदि के संपर्क में आने से बचना चाहिए. इसलिए मरीज़ की देखभाल करते वक्त हमेशा दस्तानों का उपयोग करें. इन दस्तानों को भी हर बार बदलना ज़रूरी है.

6. ऐसी वस्तुएं जिनका मरीज़ ने इस्तेमाल किया हो या कर रहा हो, उसे घर के बाकी सदस्यों को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उदाहरण के तौर पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति के बर्तन, तौलिये और बेडशीट आदि का इस्तेमाल परिवार का कोई अन्य सदस्य ना करें. कोरोना मरीज़ के साथ बैठकर खाने-पीने बचें.

होम आइसोलेशन में देखभाल कर रहे परिजन या अन्य शख्स को मरीज़ की हालत की लगातार निगरानी करते रहना चाहिए.

अगर मरीज़ को लगातार कई दिनों तक 100 डिग्री से ज़्यादा बुख़ार रहे, सांस लेने में दिक्कत हो, ऑक्सीजन लेवल 93 फ़ीसदी से कम हो गया हो, सीने में लगातार दर्द महसूस हो, थकान महसूस हो तो उसे तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

होम आइसोलेशन के दौरान घर में पर्याप्त मेडिकल कचरा जमा हो जाता है. इसमें बड़ा योगदान इस्तेमाल किए गए मास्क, सिरींज, दवाईयों, खाने-पीने से जुड़ी चीजों का होता है.

चूँकि इनमें से ज्यादातर चीजें मरीजों के द्वारा इस्तेमाल की गई होती हैं, इसलिए इनसे संक्रमण फैलने का ख़तरा बेहद ज्यादा होता है.

इसलिए ऐसे बायो मेडिकल कचरे को इधर-उधर फेंकने की जगह एक पैकेट या प्लास्टिक में जमा करके, उसका निपटारा किया जाना चाहिए.

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