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सीडी कांड: 4 घंटे में ही विनोद वर्मा के घर पहुंच गई थी पुलिस

रायपुर | संवाददाता: मंत्री के सेक्स सीडी कांड की एफआईआर दर्ज होने के चार घंटे के भीतर पुलिस पत्रकार विनोद वर्मा के घर पहुंच गई थी. अभी तक माना जा रहा था कि रायपुर में रिपोर्ट दर्ज करने के 11 घंटे के भीतर गाजियाबाद पहुंची थी. लेकिन अब यह बात सामने आई है कि 26 अक्टूबर 2017 को दोपहर साढ़े तीन बजे पुलिस ने रायपुर के पंडरी थाने में एफआईआर दर्ज की और शाम के साढे सात बजे ही गाजियाबाद स्थित विनोद वर्मा के घर पर पहुंच गई. पुलिस वहां विनोद वर्मा की हाउसिंग सोसायटी के गार्ड को अपने साथ इंदिरापुरम थाने ले कर चली गई थी. विनोद वर्मा के ताज़ा बयान से पुलिस की अब तक की सारी आरंभिक दलील गलत साबित होती नजर आ रही है.

गौरतलब है कि देश के वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को पिछले 27 अक्टूबर को तड़के छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के मंत्री राजेश मूणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने ग़ाज़ियाबाद से गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने तड़के साढे तीन बजे के आसपास उत्तरप्रदेश और दिल्ली की पुलिस के साथ पत्रकार विनोद वर्मा के महुगण मेंशन स्थित फ्लैट को घेरा और फिर विनोद वर्मा को गिरफ़्तार कर लिया.

उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस सड़क मार्ग से गाजियाबाद से लेकर रायपुर पहुंची और 29 अक्टूबर रविवार को रायपुर की अदालत में पेश किया गया, जहां पुलिस ने उन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था. इसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था, इसके बाद से वे न्यायिक हिरासत में रायपुर सेंट्रल जेल में थे. 60 दिनों में भी जब पुलिस और सीबीआई चालान पेश नहीं कर सकी तो उन्हें 28 दिसंबर को जमानत पर रिहा कर दिया गया.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता दिपांकर घोष से बातचीत में विनोद वर्मा ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें झूठे मामले में फंसाया.

अपनी गिरफ्तारी को लेकर विनोद वर्मा ने कहा-3:30 अपराह्न रायपुर में एफआईआर किया जाता है, और शाम 7:30 बजे उन्होंने गाजियाबाद में मेरे गार्ड को उठाया. यह एक मिथक है कि वे अगले दिन 3 बजे मेरे घर पहुंचे. उन्हें यहां पहुंचने में 11 घंटे नहीं, चार घंटे लगे.

विनोद वर्मा के अनुसार उनकी सोसायटी के रिकार्ड में यह सारा मामला दर्ज है क्योंकि 26 अक्टूबर 2017 को सोसायटी के गार्ड डेढ़ घंटे तक अनुपस्थित थे. इसलिए अधीक्षक ने उनसे पूछा कि आप अपने काम से अनुपस्थित क्यों थे, उन्होंने कहा कि इंदिरापुरम पुलिस ने उन्हें काम से उठाया और 7:30 बजे उन्हें इंदिरपुरम थाना ले जाया गया.

मंत्री की कथित सेक्स सेडी मामले में सीबीआई से पूछताछ को लेकर विनोद वर्मा ने कहा कि जब सीबीआई मुझे सवाल पूछने के लिए जेल आयी तो मैंने उनसे पूछा कि आप इस देश की सर्वोच्च एजेंसी हैं, कृपया मुझे समझाएं कि एक अज्ञात व्यक्ति के कॉल पर दर्ज प्राथमिकी पर पुलिस 11 घंटे में मेरा घर कैसे पहुंची? उस दिन मैंने सोचा था कि यह 11 घंटे था. अब मुझे पता चला कि यह चार घंटे था.

विनोद वर्मा ने बताया कि पुलिस गाजियाबाद स्थित उनके घर पर 27 अक्टूबर को 3 बजे पहुंची और कहा कि वे केवल उनके लैपटॉप और पेन ड्राइव के लिए आए हैं. विनोद वर्मा के अनुसार पुलिस ने उनके घर से कोई सीडी बरामद नहीं की है. पुलिस ने औपचारिकता के लिये कुछ आलमारियों को खोला. विनोद वर्मा के अनुसार “मैं पजामा और एक रात की पोशाक में था. वे मुझे इसी तरह ले जाना चाहते थे. मैंने कहा था कि आप मुझे थाने ले जा रहे हैं, कम से कम मुझे कपड़े बदलने दें. उन्होंने कहा- नहीं, ऐसे चलो आप. मैंने कहा- मैंने कौन-सा मर्डर कर दिया है यार, कपड़े बदलने दो. उन्होंने कहा कि रहने दीजिये, ऐसे ही चलो. मैंने कहा कि आप मेरे कमरे में आइये, मैं आपके सामने कपड़े बदलता हूं. मैंने उनके सामने कपड़े बदले हैं. ये स्थिति थी.”

अपनी गिरफ्तारी के कारणों को लेकर बीबीसी और अमर उजाला में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके विनोद वर्मा ने कहा कि पत्रकारों को प्रताड़ित करने के मामले में एडिटर्स गिल्ड के सदस्य के बतौर उन्होंने कई महत्वपूर्ण तथ्य जुटाये थे. इसके अलावा अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को खरीदने के सबूत और कांग्रेस के नेताओं पर 2013 में झीरम घाटी में हुये माओवादी हमले के मामले के भी कई तथ्य वे जुटा रहे थे. इस हमले में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं समेत 28 लोग मारे गये थे.

विनोद वर्मा ने कहा कि कांग्रेस के साथ एक पेशेवर सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका ms भारतीय जनता पार्टी असहज थी. श्री वर्मा ने कहा-वे मेरे पीछे क्यों पड़े, यह तो वही बता सकते हैं लेकिन मेरा अनुमान है कि मैं एक पेशेवर सलाहकार के तौर पर कांग्रेस के साथ काम कर रहा था. मेरे पास कांग्रेस के साथ एक अनुबंध है, मैं उन्हें सोशल मीडिया के लिए परामर्श दे रहा हूं.

विनोद वर्मा ने कहा कि मैं बीबीसी में सोशल मीडिया चैंपियन था और एक सोशल मीडिया चैंपियन के कारण मैं दुनिया भर के कई सोशल मीडिया विशेषज्ञों को जानता था और मैं प्रशिक्षण का प्रभारी था. देश में पहली बार, पूरे देश में, कांग्रेस बूथ स्तर पर कुछ प्रशिक्षण कर रही है. यह कांग्रेस के कामकाज का तरीका नहीं है. न केवल सोशल मीडिया बल्कि विचारधारा, बूथ प्रबंधन और आरएसएस की विचारधारा और सोशल मीडिया ये चार हिस्से थे. देश में पहली बार, 9, 500 लोगों को बूथ स्तर पर प्रशिक्षित किया गया. उन्हें प्रशिक्षित किया गया और मुझे पता है कि यह भाजपा में कुछ बेचैनी पैदा कर रहा था. यह प्रशिक्षण इतना महत्वपूर्ण था कि राहुल गांधी बस्तर में आए, दो दिन तक रहे और प्रशिक्षण के दो सत्रों में उन्होंने भाग लिया.

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