टाइगर रिजर्व बना नहीं, नए इलाके में बाघ बसाने की तैयारी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में चार साल बाद भी गुरू घासीदास टाइगर रिजर्व नहीं बन पाया. लेकिन अब सरकार ने राज्य के दूसरे हिस्सों में बाघों को बसाने का फ़ैसला किया है. राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बार नवापारा अभयारण्य में बाघों को बसाने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है.
भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य में बाघों की आबादी चार गुना करने का अपना पुराना वादा फिर से दोहराया है.
हालांकि वन्य जीव बोर्ड की इस बैठक में केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद भी सवा साल से लंबित गुरू घासीदास टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी करने को लेकर कोई बात नहीं हुई.
राज्य सरकार ने 2019 में छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की 11वीं बैठक में कोरिया जिले के गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने का निर्णय लिया था.
इस फ़ैसले का चौथा साल आ चुका है लेकिन राज्य सरकार इस फैसले पर अमल नहीं कर सकी है.
2022 समाप्त होने को है लेकिन इस टाइगर रिजर्व का कहीं अता पता नहीं है.
मुख्यमंत्री @bhupeshbaghel जी की अध्यक्षता में आज उनके निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की 11वीं बैठक में प्रदेश के कोरिया जिले के अंतर्गत गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने का निर्णय लिया गया। pic.twitter.com/EX9w6HCx0l
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) November 24, 2019
हालत ये है कि राज्य सरकार के अनुरोध के बाद केंद्र सरकार ने भी इस टाइगर रिजर्व को मंजूरी दे दी थी. लेकिन इस मंजूरी के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी करने के बजाये इस पर चुप्पी साध ली.
अब राज्य सरकार ने एक नए अभयारण्य में बाघों को बसाने की बात कही है.
वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार महज कागजी खुशी के लिए इस तरह की घोषणाएं करती रहती है. धरातल पर वन्य जीव बोर्ड के अधिकांश फैसले लागू ही नहीं होते.
नवंबर 2019 में ही वाइल्ड लाइफ़ बोर्ड में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में शिकार और वन्य अपराधों को रोकने के लिये एसटीएफ के गठन का फ़ैसला किया गया था. लेकिन आज तक राज्य में एसटीएफ का गठन नहीं किया गया.
इसी तरह वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 38 यू के अंतर्गत राज्य में बाघों के संरक्षण के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया था. इस कमेटी का कहीं अता-पता नहीं है.
राज्य सरकार ने बाघों की आबादी चार गुना करने का फैसला ऐसे समय में लिया है, जब राज्य में अंतिस सर्वेक्षण के अनुसार बाघों की संख्या 46 से घट कर 19 हो गई है.
इस सर्वेक्षण के बाद राज्य में कम से कम 6 बाघों के खाल या शव मिले हैं.
फिर से नई घोषणा, नई योजना
राज्य सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से बाघ लाए जाएंगे. जिन्हें अचानकमार टायगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही साथ बारनवापारा अभ्यारण्य में भी बाघों के लिए अनुकूल परिस्थितियों के चलते टायगर छोड़े जाएंगे.
इस विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए ग्लोबल टायगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था, जिसके क्रियान्वयन की अनुमति बैठक में दी गई. जिसके तहत अचानकमार टायगर रिजर्व में बाघ मध्यप्रदेश से लाकर छोड़े जाएंगे.
अधिकारियों ने बताया कि अचानकमार टायगर रिजर्व में वन्यप्राणियों के लिए जल स्त्रोतों, चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके. छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में फिर से टायगरों को पुनर्स्थापित करने के लिए टायगर छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई.
अधिकारियों ने बताया कि बारनवापारा अभ्यारण्य में वर्ष 2010 तक टायगर पाए जाते थे. टायगर रि-इंट्रोडक्शन एवं टायगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभ्यारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का कार्य प्रारंभ किया जाएगा.