पुष्पा तिवारी की कविताएं
आत्म विश्लेषण एक बायीं करवट लेते ही गुनगुनाने लगता कोई बंद पलकों के अंदर खिल जाता इंद्रधनुष धुंधला धुंधला कोई
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Read Moreआतंकवादी जाने क्यों आजकल जब भी देखता / सुनता हूँ ख़बरें तो धड़कते दिल से यही सुनना चाहता हूँ न
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