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छत्तीसगढ़ में हर छठवें दिन बेरोजगार ने की आत्महत्या

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता चला जा रहा है. केंद्र सरकार के एक आंकड़े के अनुसार राज्य में हर छठे दिन कोई न कोई व्यक्ति बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहा है.

राज्य में पिछली सरकार भले बेरोजगारी दर देश में सबसे कम होने का दावा करती रही हो लेकिन रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत 17 लाख से अधिक नौजवानों के आंकड़े इसे झुठलाने के लिए पर्याप्त हैं.

अब ‘भारत में आकस्मिक मौतें एवं आत्महत्याएं’ से संबंधित रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया है कि पिछले तीन सालों में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है.

2020 में राज्य में बेरोजगारी के कारण 23 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.

2021 में यह आंकड़ा बढ़ कर 51 हो गया.

यह वही दौर था, जब राज्य की तत्कालीन भूपेश बगेल की सरकार देश में सबसे कम बेरोजगारी दर का दावा कर रही थी. चौक-चौराहे, अखबार और टीवी चैनलों पर इसके विज्ञापन छापे जा रहे थे.

इसके अगले साल यानी 2022 में बेरोजगारी के कारण राज्य में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा बढ़ कर 55 हो गया. यह अंतिम उपलब्ध आंकड़े हैं.

इस अंतिम आंकड़े के अनुसार राज्य में हर छठवें दिन किसी न किसी व्यक्ति ने बेरोजगारी के कारण अपनी जान दे दी.

आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी

यहां तक कि आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या भी छत्तीसगढ़ में साल दर साल बढ़ती चली गई है.

एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिसर्च ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में राज्य में 503 छात्रों ने आत्महत्या की थी.

2020 में राज्य में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ कर 547 हो गई.

इसी तरह 2021 में यह आंकड़ा बढ़ कर 609 हो गया.

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