छत्तीसगढ़रायपुर

भागवत के बयान पर शंकराचार्य का सवाल

रायपुर | संवाददाता: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सफाई के बाद भी शुरु हुआ विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा है. अब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि मोहन भागवत ने कौन-सा ऐसा अनुसंधान कर लिया है, जिससे पता चल गया कि वर्ण पंडितों ने बनाया है?

एक दिन पहले एएनआई ने ट्वीट किया था, जिसके मुताबिक़ मोहन भागवत ने कहा, “हमारी समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी है. जब हर काम समाज के लिए है, तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो ग़लत था.”

हालांकि जब इस पर विवाद शुरु हुआ तो फिर सफाई का सिलसिला शुरु हुआ.

एएनआई ने पुराने ट्वीट को हटा कर नया ट्वीट किया, जिसमें उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का संशोधित बयान छापा.

नए ट्वीट के मुताबिक़ भागवत ने कहा, “सत्य ही ईश्वर है, सत्य कहता है मैं सर्वभूति हूं, रूप कुछ भी रहे योग्यता एक है, ऊंच-नीच नही है, शास्त्रों के आधार पर कुछ पंडित जो बताते हैं वो झूठ है. जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊंच-नीच में अटक कर हम गुमराह हो गए, भ्रम दूर करना है.”

इसके अलावा आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बयान जारी किया.

सुनील आंबेकर के मुताबिक़ मोहन भागवत ने कहा,” सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूँ, इसलिए रूप-नाम कुछ भी हो, लेकिन योग्यता एक है, मान-सम्मान एक है,सबके बारे में अपनापन है. कोई भी ऊँचा-नीचा नहीं है. शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान) लोग जो (जाति आधारित ऊँच-नीच की बात) कहते हैं वह झूठ है.”

शंकराचार्य ने क्या कहा

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रायपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब मोहन भागवत ने कोई अनुसंधान किया होगा. उनसे पूछना होगा कि ये किस अनुसंधान के फलस्वरुप आपको ये जानकारी मिली है?

शंकराचार्य ने कहा कि हमलोग तो ये अब तय यही जानते हैं कि चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं. गीता में भगवान ने कहा है कि चातुर्वण्यम मया, मया मतलब मेरे द्वारा. मेरे द्वारा सृजित किए गए हैं.

शंकराचार्य ने देश में रामचरितमानस को लेकर शुरु हुए विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि धर्मग्रंथ पर बोलने का अधिकार धर्माचार्य को होना चाहिए, राजनीतिज्ञ को नहीं होना चाहिए.

शंकराचार्य ने कहा कि इस देश में राजनीति ध्रुवीकरण का प्रयास करती रहती है. कई तरह से ध्रुवीकरण के प्रयास होते हैं. वीपी सिंह के समय मंडल-कमंडल आपलोगों ने देखा था. तब भी जातियों को बांटने की कोशिश की गई थी.

उन्होंने कहा कि अभी धर्म के आधार पर गोलबंदी है, ध्रुवीकरण है. अब इसको खत्म करके कुछ लोग चाहते हैं कि जो बहुत बड़ा हिंदू समुदाय है, उस हिंदू समुदाय में दो भाग कर दिए जाएं-अगड़े पिछड़े का. फिर कोई अगड़े की राजनीति करे, कोई पिछड़े की राजनीति करे, इस तरह से सत्ता पर आसीन हो जाएं.

error: Content is protected !!