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ग्रेट ब्रिटेन नहीं टूटेगा

लंदन | समाचार डेस्क: “क्या स्कॉटलैंड को एक स्वतंत्र देश होना चाहिए” को जनता ने ठुकरा दिया. उधर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने स्कॉटलैंड में हुए जनमत संग्रह के बाद कहा कि अब समय आगे बढ़ने का है. कैमरन ने स्कॉटलैंड की जनता के ब्रिटेन के साथ रहने के पक्ष में दिए गए मतदान के बाद कहा, “यह मामला कई पीढ़ियों तक के लिए सुलझ गया है. या जैसा कि स्कॉटलैंड के मंत्री एलेक्स सैलमंड ने एकबार कहा था कि ‘जीवनभर के लिए’.

समाचार पत्र द गार्जियन के अनुसार, कैमरन ने कहा, “अब समय आगे बढ़ने का है. इस बंदोबस्त में संतुलन है, जो स्कॉटलैंड की जनता के पक्ष में और ब्रिटेन की शेष जनता के भी पक्ष में है.”

कैमरन ने अपने भाषण के दौरान यह भी कहा कि वह स्कॉटलैंड को और अधिक अधिकार देना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “ब्रिटेन एक ऐसा देश है जहां ऐसे मुद्दे मतदान के जरिए शांतिपूर्ण रूप से सुलझ सकते हैं. अब समय अच्छे भविष्य के लिए आगे बढ़ने का है.”

गौरतलब है कि स्कॉटलैंड के 32 में से 31 काउंसिल ने ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होकर अलग देश बनाने के खिलाफ अपनी राय, जनमत संग्रह के दौरान दी है. इसी के साथ स्कॉटलैंड के अलग देश बनने पर वहां की मुद्रा क्या होगी तथा यूररोपियन यूनियन पर उठ रहे सवालों पर लगाम लग गया है. गौरतलब है कि स्कॉटलैंड के ग्लासगो ने स्वतंत्र होने के पक्ष में तथा एडिनबर्ग ने उसके खिलाफ राय दी है. इस जनमत संग्रह में लोगों से केवल हां या ना में उत्तर देने को कहा गया था.

जनमत संग्रह के गुरुवार को घोषित नतीजों में 32 काउंसिल में से 31 में विपक्ष में मतदान पड़े हैं. पक्ष में 1,512,688 और विपक्ष में 1,877,252 मत पड़े हैं.

जीत के लिए 1,852,828 वोटों की जरूरत थी.

स्कॉटलैंड का सबसे बड़ा काउंसिल क्षेत्र और ब्रिटेन का तीसरे सबसे बड़े शहर ग्लासगो में स्वतंत्रता के पक्ष में 1,94,779 मत पड़े, जबकि डनबार्टनशायर और उत्तरी लनार्कशायर में भी लोगों ने इसके पक्ष में मतदान किया.

लेकिन स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग में इसके विरोध में मत डाले गए. यहां विरोध में 1,94,638 और पक्ष में 1,23,927 लोगों ने मत डाला.

इस जनमत संग्रह में ब्रिटेन समर्थक प्रचार को कई क्षेत्रों में बड़ी जीत हासिल हुई है. यह मतदान दो सालों के प्रचार का समापन है. हालांकि, स्कॉटलैंट को और अधिकार दिए जाने को लेकर वार्ता जारी है.

आजादी के लिए अभियान चलाने वाले स्कॉटलैंड के मंत्री एलेक्स सैलमंड ने हार स्वीकार कर ली.

नतीजों के सामने आने के बाद उन्होंने ट्विट किया, “हमारे राष्ट्रमंडल शहर ग्लासगो और स्कॉटलैंड के लोगों को इस अद्भुत समर्थन के लिए शाबाशी.”

अक्टूबर 2012 में कैमरन और सैलमंड ने एडिनबर्ग समझौता पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें 2014 में स्कॉटलैंड को स्वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह कराए जाने की अनुमति मिली थी. उल्लेखनीय है कि ग्रेट ब्रिटेन में इग्लैंड, वेल्स, आयरलैंड तथा स्कॉटलैंड शामिल हैं. आज के जनमत संग्रह से स्पष्ट हो गया कि आने वाले समय में ग्रेट ब्रिटेन, ग्रेट ब्रिटेन ही कहलायेगा.

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