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पंडा के खून के प्यासे माओवादी

भुवनेश्वर | विशेष संवाददाता: ओडीशा में सीपीआई माओवादी अपने सचिव रहे सब्यसाची पंडा पर भड़की हुई है. कभी भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता रहे सब्यसाची पंडा के खिलाफ भाकपा माओवादी ताल ठोंक कर मैदान में उतर आई है.

पार्टी ने कहा है कि पंडा ने पार्टी का एक करोड़ रुपये का गबन किया है और पार्टी इसकी सजा उसे देगी. सीपीआई माओवादी ने कहा है कि पंडा अगर इस कार्रवाई से बचना चाहता है तो 60 लाख रुपये नकद और 40 लाख रुपये का सामान सीपीआई माओवादी को वापस करे.

गौरतलब है कि पिछले साल 14 मई को सीपीआई माओवादी के राज्य सांगठनिक कमेटी का सदस्य रहते हुये सब्यसाची पंडा ने 16 पन्नों का एक पत्र मीडिया को जारी करते हुये अपनी पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाये थे. सब्यसाची पंडा ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि माओवादी अपनी विवेकहीन हिंसा में बेकसूर लोगों को बिना सोचे-समझे मारते हैं.

पंडा के आरोप
पंडा ने आरोप लगाया था कि पार्टी में तेलुगु और कोया कामरेडों का दबदबा है. यहां तक कि माओवादी ही आदिवासियों का सबसे ज्यादा शोषण करते हैं, उनसे खाना बनवाते हैं, समान उठवाते हैं. इसके अलावा पंडा ने माओवादियों पर महिलाओं के यौन शोषण का भी आरोप लगाया था.

सब्यसाची पंडा ने सीपीआई माओवादी के महासचिव गणपति पर आतंक और भय पर आधारित तानाशाही स्थापित करने का आरोप भी लगाया था. जाहिर है, सब्यसाची पंडा के इस पत्र को लेकर सीपीआई माओवादी में हड़कंप मच गया.

कौन है पंडा
ओडीशा के नयागढ़ से तीन-तीन बार विधायक रहे रमेश पंडा के बेटे सब्यसाची पंडा ने 1990 के शुरुआती दिनों में माओवादी आंदोलन का साथ पकड़ा. कंधमाल के इलाके में कुई आदिवासियों को एकजुट करने के लिये पंडा ने कुई लबंगा संघ का निर्माण किया, जो बाद के दिनों में पीपुल्स वार ग्रूप के जनसंगठन के तौर पर काम करने लगा.

1998 में भाकपा माले पार्टी यूनिटी में रहने के बाद पंडा पीपुल्स वार में शामिल हुये थे. 2003-05 के बीच पंडा ने आंध्र-ओडीशा बॉर्डर स्पेशल ज़ोन कमेटी सदस्य रहने के बाद 2005 में ओडीशा राज्य सांगठनिक कमेटी के सदस्य के तौर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यही कारण है कि पंडा को 2008 में पार्टी ने ओडीशा का सचिव बना दिया था.

लेकिन 14 मई 2012 के पत्र के सार्वजनिक होने के बाद पार्टी के इतने जिम्मेवार सदस्य की आलोचना से तिलमिलाये सीपीआई माओवादी ने 10 अगस्त को पंडा को पार्टी से बाहर निकाल दिया. बाद में पंडा ने ओडीशा माओवादी पार्टी नाम से एक अलग संगठन बना लिया.

इसके बाद सीपीआई माओवादी ने भी ओडीशा के अपने साम्राज्य को संभालने के लिये सीओबीसी यानी छत्तीसगढ़ ओडीशा बॉर्डर कमेटी का गठन किया है.तब से अब तक एक के बाद एक पंडा के ओडीशा माओवादी पार्टी और सीपीआई माओवादी के बीच सवाल-जवाब के दौर चलते रहे हैं.

मामला लेवी का
अब सीपीआई माओवादी ने खुल कर सब्यसाची पंडा को धमकी दी है. पार्टी के बांसाधारा घुमुसर डिवीजनल कमेटी के सचिव निखिल ने आरोप लगाया है कि सब्यसाची पंडा ने लेवी के बतौर वसूले लाखों रुपये की रकम रख ली है.

आरोप के अनुसार पंडा ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की रकम दबा ली. निखिल ने कहा सब्यसाची पंडा अगर भला चाहते हैं तो 60 लाख रुपये नगद हमें जमा करें और 40 लाख रुपये के सामान हमें लौटाये.

ऐसा नहीं किये जाने पर सीपीआई माओवादी ने पंडा को जनता की अदालत में अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है. यहां यह कहना गैरज़रुरी नहीं है कि पंडा जनता की अदालत का मतलब बेहतर समझते हैं.

ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि सब्यसाची पंडा एक बार फिर से राज्य सरकार के सामने समर्पण करने पर विचार कर सकते हैं, जिसकी चर्चा लगातार होती रहती है और अब तक पंडा जिससे इंकार करते रहे हैं.

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