छत्तीसगढ़ में बिजली का निजीकरण-कांग्रेस
रायपुर | संवाददाता: कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर छत्तीसगढ़ में बिजली विभाग को निजीकरण के रास्ते पर ढकेलने का आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि भाजपा सरकार गुपचुप तरीके से छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन, वितरण और पारेषण कंपनी को निजीकरण की ओर ले जा रही है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि कुछ माह पूर्व कांग्रेस द्वारा इन कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में पारित निजीकरण के प्रस्ताव का हवाला देकर प्रेस कान्फ्रेंस किया गया था तब भाजपा सरकार एवं यहां के आला अधिकारियों द्वारा इसका पुरजोर खंडन किया गया था किन्तु इस एजेंडे को चुपचाप तरीके से अमली जामा पहनाने का काम शुरू कर दिया गया.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया है कि उत्पादन कंपनी के कोरबा एवं मड़वा स्थित पॉवर प्लांट के बहुत सारे सहायक मशीनों का संचालन आऊटसोर्सिग द्वारा किया जा रहा है. उसी प्रकार वितरण कंपनी द्वारा राज्य के अधिकांश जिलों के सब-स्टेशन के संचालन, संधारण बिजली बिलों की रीडिंग एवं वसूली और बिजली लाईनों के संधारण आदि सभी कार्यो को निजी क्षेत्र की कंपनियों के हाथों में सौप दिया गया है. अब ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा भी राज्य के छः जिलों के सब-स्टेशन के संचालन के कार्य को निजी क्षेत्र की कंपनियों को सौप दिया गया है.
ज्ञानेश शर्मा ने कहा है कि राज्य की जनता को गुणवत्ताहीन एवं महंगी विद्युत सेवाएं मिल रही हैं. आये दिन उत्पादन कंपनी के पुराने एवं नये संयंत्रो में खराबी आने की वजह से राज्य की ग्रामीण क्षेत्र की जनता को 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. जो मड़वा प्लांट मार्च 2014 में ही तकनीकी रूप से पूर्ण हो चुका था, उससे आज 3 वर्ष बाद भी बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रही है. वितरण कंपनी के फील्ड के समस्त कार्यो को निजी क्षेत्र में देने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में ट्रांसफार्मर के रखरखाव की स्थिति चिंता जनक होने के कारण राज्य की आम जनता प्रभावित हो रही है.
कांग्रेस नेता ने कहा है कि उत्पादन कंपनी के नये व पुराने विद्युत संयंत्रो की इतनी दुर्दशा करने के बाद भी उत्पादन कंपनी के प्रबंध निदेशक का समाचार पत्रों में यह छपवाना कि उत्पादन कंपनी के द्वारा टारगेट से ज्यादा विद्युत उत्पादन किया जा रहा है, प्रदेश की जनता की आंखो में धूल झोकने एवं अपने कार्यकाल की असफलता को छुपाने का कुटिल प्रयास किया जा रहा है. यदि विद्युत संयंत्रो में लगातार खराबी नहीं आती और अपनी क्षमता के अनुरूप विद्युत उत्पादन करते एवं मडवा संयंत्र निर्धारित समय पर चालू हो जाता तो राज्य की जनता को निर्बाध एवं सस्ती बिजली उपलब्ध होती अतः कांग्रेस प्रबंध निदेशक के उपरोक्त वक्तव्य की जाचं का मांग करती है.
ज्ञानेश शर्मा ने मांग की है कि पिछले तीन-चार सालों में पुराने संयंत्रो में खराबी होने के कारण एवं मड़वा संयंत्र के निर्धारित समय पर चालू नहीं होने से जो राजस्व का नुकसान हुआ है, उसका आंकलन कर राज्य की जनता को उसका लाभ दिया जाये. कांग्रेस नेता ने सरकार द्वारा विद्युत विभाग को पांच कंपनियों में बांटे जाने की भी जांच की मांग की है.