छत्तीसगढ़ के 14 हज़ार गांव ओडीएफ
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के 14 हज़ार गांव ओडीएफ घोषित कर दिये गये हैं.प्रदेश के पांच जिलों- धमतरी, मुंगेली, राजनांदगांव, सरगुजा और दुर्ग को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है.
छत्तीसगढ़ में ओडीएफ की प्रगति की जानकारी प्रभारी मुख्य सचिव अजय सिंह ने मंत्रालय में भारत सरकार के केबिनेट सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिवों की समीक्षा बैठक में दी.
केबिनेट सचिव श्री सिन्हा ने राज्यों के मुख्य सचिवों सहित जिला कलेक्टरों से स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त इलाकों की प्रगति की समीक्षा की.
प्रभारी मुख्य सचिव अजय सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक 26 लाख 10 हजार 225 शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है. प्रदेश के पांच जिलों- धमतरी, मुंगेली, राजनांदगांव, सरगुजा और दुर्ग को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री पी.सी. मिश्रा भी उपस्थित थे.
हालांकि राज्य के कई इलाकों में ओडीएफ का काम कागजों पर ही हुआ है. कई इलाकों में आधे-अधुरे निर्माण करा कर उसे खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिये जाने के सैकड़ों मामले सामने आये हैं. यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन जिलों को खुले में शौच से मुक्त के नाम पर पुरस्कृत कर चुके हैं, उन ज़िलों में भी ओडीएफ का बड़ा घोटाला सामने आ चुका है.
राज्य के मुंगेली में तो कलेक्टर रहते हुये किरण कौशल ने प्रधानमंत्री के हाथों ओडीएफ का पुरस्कार लिया था. लेकिन अगले ही दिन पता चला कि उनके ज़िले के कई गांवों में कोई शौचालय बना ही नहीं है. आनन-फानन में दिन-रात एक कर के शौचालय बनवाये गये.
हालांकि अब भी इन पुरस्कृत ज़िलों में सैकड़ों निर्माण या तो अधुरे हैं या उनका कभी निर्माण ही नहीं हुआ है. ऐसे मामले धमतरी, मुंगली, राजनांदगांव, सरगुजा और दुर्ग में सामने आते रहते हैं. हालांकि माना जा रहा है कि 2018 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह ओडीएफ घोषित करने की प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री सख्त हैं. लेकिन यह सख्ती हकीकत में क्या कुछ कर पायेगी, यह देखना दिलचस्प होगा.