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छत्तीसगढ़ में नया आरक्षण विधेयक पारित

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में नई आरक्षण व्यवस्था से जुड़ा विधेयक शुक्रवार को विधानसभा के विशेष सत्र में सर्वसम्मति से पारित हो गया.

अब इस विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाएगा. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद राजपत्र में प्रकाशित होते ही राज्य में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो जाएगी.

इस विधेयक में आदिवासियों को 32 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रुप से कमज़ोर वर्ग को 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान रखा गया है.

गौरतलब है कि राज्य में सितंबर के बाद से आरक्षण का रोस्टर ही सक्रिय नहीं था. यही कारण है कि राज्य में बड़ी संख्या में प्रवेश और भर्ती परीक्षा रुकी हुई थीं.

रमन सरकार का फैसला

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में रमन सिंह की सरकार ने 18 जनवरी 2012 को एक अधिसूचना जारी करते हुए आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 में संशोधन करते हुए आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया था.

रमन सिंह की सरकार ने अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 12 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया था.

आरक्षण का यह दायरा 58 प्रतिशत था.

पहले से लागू अनुसूचित जाति के 16 फीसदी आरक्षण को घटाकर 12 प्रतिशत किए जाने से काफी नाराजगी थी. अनुसूचित जनजाति को तब तक 20 फीसदी आरक्षण ही मिलता था, जिसे रमन सिंह की सरकार ने 32 फीसदी किया था.

आरक्षण के इस फैसले के खिलाफ कई संगठनों ने याचिका दायर की थी. जिसे सितंबर में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था.

भूपेश सरकार का फैसला भी लंबित

भूपेश बघेल की सरकार ने 15 अगस्त 2019 को आरक्षण के दायरे को 58 फीसदी से 72 फीसदी तक पहुंचा दिया.

भूपेश बघेल सरकार ने अनुसूचित जाति के आरक्षण को 12 फीसदी से बढ़ा कर 13 फीसदी कर दिया.

उन्होंने सर्वाधिक बड़ा बदलाव अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में किया. अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी था, जिसे बढ़ा कर 27 फीसदी कर दिया गया.

लेकिन इस फ़ैसले के लागू होने से पहले ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.

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