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छत्तीसगढ़ में क्यों आत्महत्या कर रहे आदिवासी किसान

रायपुर | संवाददाता: किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मौत के आंकड़े सरकार के पास नहीं होने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में केंद्र सरकार की आलोचना की थी और 700 किसानों की मौत के आंकड़े पेश किए थे.

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी की ही कांग्रेस पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि राज्य में किसानों की मौत या आत्महत्या के आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं. भूपेश बघेल ने विधानसभा में लिखित में यह जवाब दिया है.

हालांकि सीजीखबर को राज्य के कृषि विभाग से जो आंकड़े मिले हैं, उसके अनुसार पिछले दो सालों में राज्य में 230 किसानों ने आत्महत्या की है.

इस आंकड़े के अनुसार आत्महत्या करने वाले 230 लोगों में सर्वाधिक 97 लोग आदिवासी हैं. इसके अलावा 42 किसान अनुसूचित जाति के हैं.

विधानसभा में सवाल-जवाब

पिछले पखवाड़े भारतीय जनता पार्टी के विधायक डमरुधर पुजारी ने विधानसभा में एक सवाल पूछा था कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में, छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों या उनके परिजनों को किन-किन कारणों से कितनी राशि, कब-कब दी गई?

पुजारी ने यह भी जानना चाहा था कि 1 जनवरी 2019 से 10 अक्टूबर 2021 तक छत्तीसगढ़ में, दुर्घटना में मृत या आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या कितनी है और उनके परिजनों को कितनी मुआवजा या सहायता राशि दी गई है.

इस सवाल के लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जानकारी दी कि लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन में शामिल व्यक्तियों में से 5 कुचले गये व्यक्तियों के परिवार को प्रति व्यक्ति 50 लाख के मान से सहायता राशि छत्तीसगढ़ द्वारा दी गई है.

छत्तीसगढ़ के किसानों को लेकर भूपेश बघेल ने उत्तर दिया-“प्रदेश में किसानों की मृत्यु, दुर्घटना से या आत्महत्या से होने पर संबंधितों द्वारा संबंधित क्षेत्र के थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. प्रथम सूचना रिपोर्ट में मृतक किसान था अथवा नहीं, इसका उल्लेख नहीं होता है और इस प्रकार की जानकारी का संधारण नहीं किया जाता है.”

कृषि विभाग ने बताया 230 किसान आत्महत्या

मुख्यमंत्री के दावे से अलग राज्य के कृषि विभाग से सीजी खबर को जो दस्तावेज़ हासिल हुए हैं, उसके अनुसार 1 जनवरी 2020 से इस साल 23 नवंबर तक राज्य में 230 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें 97 किसान आदिवासी और 42 अनुसूचित जाति वर्ग के थे.

कृषि विभाग के अनुसार पिछले साल यानी 2020 में राज्य में कुल 151 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 59 आदिवासी और 29 अनुसूचित जाति वर्ग से हैं.

2020 में बिलासपुर ज़िले में सर्वाधिक 90 किसानों ने आत्महत्या की. इनमें 28 आदिवासी किसान हैं, जबकि 25 अनुसूचित जाति के हैं. इसी तरह सरगुजा ज़िले में 20 आदिवासी और 2 अनुसूचित जाति के किसानों समेत कुल 34 किसानों ने आत्महत्या की.

कोरबा ज़िले में जिन 12 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज किए गये हैं, उनमें 9 आदिवासी और एक अनुसूचित जाति के किसान हैं.

कबीरधाम में 5, राजनांदगांव में 5, दुर्ग में 3, बलरामपुर में 1 और कोंडागांव में एक किसान ने आत्महत्या की है.

इस साल 23 नवंबर तक कृषि विभाग के पास जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके अनुसार 2021 में 79 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें 38 किसान आदिवासी और 13 अनुसूचित जाति वर्ग के थे.

इस साल सर्वाधिक 37 किसानों ने सरगुजा ज़िले में आत्महत्या की है. इसके अलावा बिलासपुर ज़िले में 34 किसानों ने आत्महत्या की है. राजनांदगांव ज़िले में 4, कबीरधाम में 3 और दुर्ग ज़िले में 1 किसान की आत्महत्या का मामला सामने आया है.

कहीं अधिक हैं एनसीआरबी के आंकड़े

देश में अपराध और दुर्घटनाओं के आंकड़ों को समन्वित करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े और अधिक हैं. एनसीआरबी को राज्य सरकार ही आंकड़े उपलब्ध कराती है.

2020 के आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या की दर यानी प्रति लाख आबादी के हिसाब से आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में तीसरे नंबर पर है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 26.4 है.

पिछले तीन सालों के आंकड़े देखें तो 2018 में आत्महत्या की दर के मामले में छत्तीसगढ़ काफी पीछे था. लेकिन 2019 में छत्तीसगढ़ राज्य 26.4 की आत्महत्या दर के साथ देश में चौंथे नंबर पर और 2020 में तीसरे नंबर पर पहुंच गया.

एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में छत्तीसगढ़ में अपनी ज़मीन पर खेती करने वाले 209 पुरुष और 9 महिलाओं यानी कुल 218 किसानों ने आत्महत्या की. इसी तरह रेगहा यानी किसी और की ज़मीन ले कर खेती करने वाले 9 पुरुषों ने आत्महत्या की.

कृषि क्षेत्र के मज़दूरों की बात करें तो 2020 में 281 पुरुषों और 29 महिलाओं, यानी कुल 310 लोगों ने आत्महत्या की. इस तरह अकेले 2020 में कृषि क्षेत्र के 537 लोगों ने आत्महत्या की.

एनसीआरबी के पुराने आंकड़े देखें तो पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में 2006 से 2010 के बीच हर साल किसानों की आत्महत्या के औसतन 1555 मामले दर्ज हुए हैं यानी हर दिन औसतन 4 से अधिक किसानों ने राज्य में आत्महत्या की.

लेकिन जब किसानों की आत्महत्या को लेकर सवाल उठने लगे तो 2011 में एनसीआरबी की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या का मामला शून्य पर जा पहुंचा. 2012 में केवल 4 किसानों की आत्महत्या को स्वीकारा गया, वहीं 2013 में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा फिर से शून्य पर जा पहुंचा. यह सिलसिला लगातार जारी है.

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