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काले को सफेद करने का नायाब तरीका

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: काले धन को सफेद करने का नायाब तरीका मौजूद है. भारत में राजनीतिक दलों को आयकर नहीं देना पड़ता है और न ही वे सूचना के अधिकार कानून की जद में आते हैं. जब से नोटबंदी लागू की गई है लोग गूगल पर काले धन को सफेद कैसे करें का जवाब ढ़ूढ़ रहे हैं जबकि राजनीतिक दल बनाकर भी काले धन को सफेद किया जा सकता है. और यह आशंका खुद देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने व्यक्त की है.

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मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अनुसार देश में 1900 से ज्यादा राजनीतिक दल नामांकित हैं जिनमें से 400 ने कभी चुनाव ही नहीं लड़ा है. जैदी ने शंका जाहिर की है कि इन पार्टियों का गठन काले धन को सफेद करने के उद्देश्य से भी किया जा सकता है.

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीद जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग ने ऐसी पार्टियों को लिस्ट से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इससे राजनीतिक पार्टी के तौर पर आयकर और चंदे में मिलने वाली छूट बंद की जा सकेगी. पार्टियों की लिस्ट में आयोग हर साल कांट-छांट करती है. इन पार्टियों को फिर से रजिस्टर्ड नहीं करने के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा दोबारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया काफी लंबी होती है.

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चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव आयोगों को ऐसी पार्टियों की लिस्ट भेजने का निर्देश दिया है जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़े. मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने यह भी बताया कि इन पार्टियों को मिलने वाले अनुदानों का विवरण भी भेजने के निर्देश दिये गये हैं.

चुनावों पर नजर रखने वाली तथा उसका विश्लेषण करने वाली गैर-सरकारी संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के साल 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार देश की 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय का 69.3 फीसदी “अज्ञात स्रोत” से आया था. एडीआर के आंकड़ों के अनुसार साल 2013-14 में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के पास कुल 1518.50 करोड़ रुपये थे.

राजनीतिक दलों में सबसे अधिक पैसा भाजपा (44%) के पास था. वहीं कांग्रेस (39.4%), सीपीएम (8%), बीएसपी (4.4%) और सीपीआई (0.2%) का स्थान था.

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