Columnistताज़ा खबर

दीवाली और गांधी

कनक तिवारी
दीवाली को लेकर भी राष्ट्रपिता ने कई बार बहुत मार्के की बातें कही हैं. 1891 में उन्होंने कहा- दीवाली का वही महत्व है हिंदुओं के लिए जो ईसाई दुनिया के लिए क्रिसमस का है. यह एक सामाजिक और धार्मिक त्यौहार दोनों है. जिन्होंने इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट और रीजेंट स्ट्रीट देखी है. उनकी बात नहीं लेकिन बाकी के लिए तो चकाचौंध की रोशनी होती है. लोगों की पोशाक देखकर उनकी अमीरी का अंदाजा लगाया जा सकता है. कुछ लोग मंदिरों में भी चले जाते हैं. इस दिन कमाने वाले पुरुष भी यदि देश के बाहर हों अपने घरों में लौटना पसंद करते हैं. घर साफ किए जाते हैं.

फिर असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में लिखा कि दीवाली की छुट्टी में हमें अपने हाथ से खादी कातना चाहिए. बच्चियों को खादी के सूत की गुड़िया बनाकर भेंट करना चाहिए. और कुछ जलाकर रोशनी करने के बदले विदेशी कपड़ों की जो भी अपने पास हों उनकी होली जलाकर खुशियां मनाना चाहिए. बच्चों को समझाया जा सकेगा जो फटाके खरीदने की जिद करते हैं.

एक जैन संवाददाता ने उनसे कहा कि विदेशी कपड़ों की होली जलाने से बहुत से कीट पतंगे मरेंगे. यह तो हिंसा हुई. तो गांधी ने कहा कि निश्चित रूप से लेकिन हम अपने घरों में चूल्हा जलाते हैं और शवदाह भी करते हैं. विदेशी कपड़ों की होली जरूर जलाएं.

गांधी ने जोर देकर कहा कि सभी धर्मों के लोगों को मिलजुलकर दीवाली मनानी चाहिए. खासतौर पर मुसलमानों को भी और हम सबको मिलकर सभी के त्यौहार मनाने चाहिए..

आगे 1928 में गांधी ने फिर कहा कि पटाखे चलाना बहुत अच्छी बात तो नहीं है. लेकिन जो बुजुर्ग हैं. माता-पिता हैं. उन्होंने ही बच्चों के बचपन से ऐसी आदतें डाल रखी हैं.

गांधी ने कहा-अफ्रीका के बच्चे तो पटाखे नहीं चलाते. वे नाचना गाना पसंद करते हैं. ऐसे अवसर पर बच्चों के लिए खेलकूद के आयोजन किए जाएं पिकनिक वगैरह के प्रबंध किए जाएं. अमीर गरीब सभी बच्चों को घर के सब सदस्यों को अपने हाथों अपने घर की सफाई करना चाहिए यह गांधी ने कहा था.

बहुत दुखी गांधी ने 13 नवंबर 1947 को दीवाली के वक्त कहा था कि दिल्ली में बहुत जगमगाहट है. लेकिन इस साल बंबई में जगमगाहट कम हुई. चूंकि प्रथा में परंपरा में है. इसलिए बहुत से दीए जलाए गए.

दुखी गांधी ने कहा कि आज जो माहौल है. अगर वह बदले और हिंदू मुसलमान के बीच में प्रेम और मोहब्बत हो जाए. तब तो दीवाली मनाने का हमारा नैतिक अधिकार पक्का होता है.

आखिर में बापू ने कहा कि बाहर के रावण के बजाय अगर हमारे अंदर रावण घुसने की कोशिश करता है तो अपने अंदर के राम से कहें कि उस रावण को वहीं मारें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!