भारत में डिजिटल भुगतान खस्ताहाल
नई दिल्ली | संवाददाता: देश में डिजिटल भुगतान की हालत खराब है.इससे पहले सरकार ने नोटबंदी के सहारे कोशिश की थी कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये हरसंभव कोशिश की जाये. यहां तक कि कई संस्थानों में नकद लेन-देन पर भी रोक लगा दी गई है. लेकिन इससे भी आशातीत परिणाम सामने नहीं आये हैं.
आरबीआई और एनपीसीआई के आंकड़ों की मानें तो अक्टूबर 2016 में देश में कुल 71.27 करोड़ रुपये का डिजिटल भुगतान लेनदेन हुआ. सरकार को उम्मीद थी कि यह आंकड़ो नोटबंदी के बाद 2000 करोड़ रुपये के आसपास जा पहुंचेगा लेकिन मई 2017 के आंकड़े बता रहे हैं कि देश में कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन का आंकड़ा 111 करोड़ रुपये के आसपास है.
आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2016 में देश में कुल डिजिटल लेन-देन 83.48 करोड़, दिसंबर में 123.46 करोड़, जनवरी 2017 में 114.96 करोड़, फरवरी में 101.18 करोड़, मार्च में 119.07 करोड़, अप्रैल में 118.01 करोड़ और मई 2017 में 111.45 करोड़ रहा.
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में डिजिटल भुगतान में जिस तरीके से कमिशन वसूला जाता है, उससे उपयोगकर्ताओं में निराशा की स्थिति है. अलग-अलग तरह के भुगतान में 1 से ढाई प्रतिशत तक का अतिरिक्त भुगतान उपभोक्ता की जेब पर पड़ता है. ऐसे में उपभोक्ता डिजिटल के बजाये नक़द भुगतान का रास्ता अपनाये हुये हैं. हालत ये है कि सरकारी उपक्रमों में भी नगद भुगतान पर लोगों को फायदा हो रहा है, इसके उलट डिजिटल भुगतान में लोगों की जेब हल्की हो रही है.