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छत्तीसगढ़ में डेंगू से 14 की मौत

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के भिलाई में डेंगू से 14 लोगों की मौत के बाद अब डेंगू का प्रकोप राजधानी रायपुर में भी पहुंच गया है. राजधानी में दो आईपीएस अधिकारी और डिप्टी कलेक्टर समेत कई लोगों को डेंगू होने की खबर है.

राजधानी रायपुर के रामकृष्ण केयर, श्रीबालाजी, एमएमआई जैसे निजी अस्पतालों में डेंगू के 50 से अधिक मरीज भर्ती हैं.

इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि वे जल्दी ही प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे. पिछले पखवाड़े भर में भिलाई और रायपुर में 15 लोग डेंगू के कारण मौत का शिकार हुये हैं. इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में संदिग्ध मरीज अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं.

इधर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में सभी बड़े अफसर, कलेक्टर समेत सभी विभागों के अधिकारी मोबाइल और टिफिन बांटने में लगे हैं. डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के उपायों पर कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने चिंता जताते हुये कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो यह महामारी का रुप ले सकती है.

जानलेवा डेंगू से कैसे बचें
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार डेंगू एक वाइरल बीमारी है जो कि संक्रमित एडिस एजिप्टी मच्छर के माध्यम से फैलता है. यह एक संक्रामक रोग है और कुछ स्थितियों में यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है. डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं. संक्रमित एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना. एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना.

मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय
लार्वा नियंत्रण हेतु घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें. अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें केरोसिन अथवा मोबिल ऑयल डालें. रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें. घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें.

इस जानलेवा बीमारी के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें. अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें. मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल कर सकते हैं. घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें. यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें. दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें. साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें.

मच्छरों के काटने से बचाव ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे. खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है. बच्चों को मलेरिया सीजन में शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े ही पहनाएं. रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं.

इलाज
इन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें. एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनॉलजेसिक (बु्रफेन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें इस प्रकार की दवाईयों से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है. यदि बुखार सामान्यतः पैरासिटामाल से कम नहीं होता है तथा तकलीफ बढ़े तो चिकित्सक की सलाह जरुर लें.

अगर हो जाये तो
अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं. जब डेंगू वायरस संक्रमित मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीडि़त हो जाता है.

कैसे जानें की डेंगू है
इस बीमारी में लक्षण मच्छर काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है. डेंगू के मरीज तीन तरह के लक्षण के साथ मिल सकता है क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम का डेंगू होता है. एमबीबीएस, एमडी, फिजिशियन, शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से अपना ईलाज कराना चाहिये.

बच्चों में इसके लक्षण नजर आएं तो उसे बच्चों के डाक्टर से सलाह ली जाएं. मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल चिकित्सक की सलाह पर घर में की जा सकती है. अगर बुखार 100 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें. यदि कम न हो तो अस्पताल जरुर जाएं. सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें. बुखार की हालत में शरीर को ज्यादा तरल पदार्थ खाने की जरूरत होती है. मरीज को आराम करने दें.

बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं. इस बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं. अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो पूरा इलाज मुमकिन है. लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए. उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो.

एहतियात रुप से ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं. हल्का भोजन करें, जो आसानी से पच सके. पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं द्यमिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं,. छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं. विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे: आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं. यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है. अपने आप मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें. अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले.

अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो तत्काल डेंगू का टेस्ट कराने हेतु चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए. अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर से जांच कराने सुझाव दिया जाए. बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन यानी पानी की कमी भी जल्दी होता है.

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