नोटबंदी संविधान पीठ को सौंपा गया
नई दिल्ली | संवाददाता: नोटबंदी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी. शुक्रवार को नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया है कि इसे पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया जाये. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न हाईकोर्ट में चल रहे नोटबंदी से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी है.
केन्द्र सरकार के लिये राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नोटों को आवश्यक सेवाओं में चलाने की तारीख बढ़ाने से इंकार कर दिया है.
कोर्ट ने सवाल तैयार किये हैं, जिन पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. सरकार के लिए बुरी खबर यह है कि इससे पहले पहले सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा था की आर्थिक मामलों में लिये गए सरकार के फैसलों में न्यायालय समीक्षा नहीं कर सकता. पर कोर्ट ने संवैधानिक बेंच बना कर मामले की समीक्षा का आदेश दे दिया है.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इन सवालों के जवाब देगी-
1. क्या 8 नंवबर की विमुद्रीकरण की अधिसूचना RBI अधिनियम के अनुसार है?
2. क्या RBI अधिनियम की धारा 26 (2) जिसके तहत नवंबर की अधिसूचना जारी की गई, संविधान सम्मत है?
3. क्या नवंबर की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 के विपरीत है?
4. क्या वैधानिक राशि को निकालने पर प्रतिबंध अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है?
5. क्या 8 नवंबर की अधिसूचना को प्रकियागत और तार्किक तरीके से लागू नहीं किया गया?
6. क्या 8 नवंबर की अधिसूचना और उसके बाद की स्थिति संविधान के अनुच्छेद 300 ए (सम्पत्ति का अधिकार) का उल्लंघन है?
7. क्या ज़िला सहकारी बैंकों को अपने यहां जमा राशि को निकालने और बदलने से रोकना ‘उनके खिलाफ़ भेदभाव’ है?
8. क्या वित्तीय/आर्थिक नीति संबंधी मामलों में न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश है?
9. क्या विमुद्रीकरण का फैसला सिर्फ संसद की मंज़ूरी से लिया जा सकता है?
10. क्या संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल की गईं रिट याचिकाओं पर विचार किया जा सकता है.