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नोटबंदी से अस्थाई मंदी- राष्ट्रपति

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी नोटबंदी से मंदी की आशंका व्यक्त की है. राष्ट्रपति का मानना है कि इससे अस्थाई मंदी आ सकती है. उन्होंने गुरुवार को कहा, “नोटबंदी से जहां कालेधन और भष्ट्राचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, वहीं इससे अर्थव्यवस्था में अस्थायी रूप से कुछ नरमी आ सकती है. गरीबों की तकलीफों को दूर करने के मामले में हमें ज्यादा सजग रहना होगा, कहीं ऐसा न हो कि दीर्घकालिक प्रगति की उम्मीद में उनकी यह तकलीफ बर्दास्त से बाहर हो जाये.”

इससे पहले भी टाटा स्टील ने कहा था कि नोटबंदी से उनका कारोबार प्रभावित हुआ है. कई अन्य कंपनियों ने भी इसी तरह के अनुभव साझा किये थे. राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का बयान अमरीकी अर्थशास्त्री स्टीव एच हांके के बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी के रास्ते पर ढकेल दिया है. उन्होंने आशंका जताई है कि साल 2017 में भारत आर्थिक वृद्धि के मामले में पिछड़ सकता है.

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के साथ 500 और 1000 रुपयों के पुराने नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था. इसके बाद बैंकों तथा पोस्ट ऑफिसों में इसे बदलवाने तथा एटीएम से नये नोट निकालने के लिये अभूतपूर्व भीड़ देखी गई. जिसमें ज्यादातर गरीब तथा मध्यम वर्ग के लोग थे.

वहीं, हाल ही में ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि अवैध घोषित किये गये 500 और हजार के 97 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गये हैं.

कुलमिलाकर अब जिस तरह के बयान तथा दावे सामने आ रहें हैं उससे जाहिर होता है कि 500 और 1000 के नोटों के रूप में जो काला धन मौजूद था उसे ठिकाने लगा दिया गया है. उल्टे, नोटबंदी के कारण छाई नगदी की कमी के कारण अर्थव्यस्था मंदी की ओर जा रही है.

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