सोनू सरदार के फांसी पर सुनवाई होगी- HC
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई कर सकती है. दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई पर कहा कि वह इस मामलें में सुनवाई कर सकती है तथा फांसी की सजा पर रोक भी लगा सकती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि सोनू सरदार के फांसी पर रोक से संबंधित याचिका को खारिज करने का फैसला राष्ट्रपति ने यहां किया है, इसलिये दिल्ली हाई कोर्ट मामलें की सुनवाई कर सकती है. इससे पहले की सुनवाई में छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से पेश अधिवक्ता ने इस मामलें को दिल्ली हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर का है. इसलिये दिल्ली हाई कोर्ट इस मामलें की सुनवाई नहीं कर सकती है.
कोर्ट सोनू की फांसी रोक नहीं सकती
छत्तीसगढ़: सोनू सरदार की फांसी तय
कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को पीठ ने कहा कि जांच के लायक सामग्री कैबिनेट द्वारा दी गई सलाह है और सभी दस्तावेज तथा रिकार्ड दिल्ली में हैं तथा फैसला भी दिल्ली में किया गया है.
राज्य सरकार का आवेदन दोषी सोनू सरदार की मुख्य याचिका पर दायर हुआ है जिसने मांग की गई है कि उसकी दया याचिका पर फैसले में देरी तथा उसे कथित रूप से गैरकानूनी रूप से एकांत में जेल में रखने के कारण उनका मृत्युदंड आजीवन कारावास में तब्दील किया जाये.
इधर डेथ वारंट उधर फांसी पर रोक
सोनू की फांसी का डेथ वारंट जारी
उल्लेखनीय है कि 19 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की अदालत ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था. इसके बाद सोनू को किसी भी समय फांसी दी जा सकती थी. रायपुर जेल में तो फांसी की तैयारी भी शुरु हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में उसकी फांसी पर रोक लगा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिट क्रमांक 117/2014 पर सुनवाई करते हुये सोनू सरदार की सज़ा पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विक्रमजीत सेन और शिवाकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी.
बैकुंठपुर के इस बहुचर्तित मामले में सोनू सरदार को फांसी की सजा सुनाई गई थी. सोनू सरदार समेत 5 लोगों पर 26 नवंबर 2004 को बैकुंठपुर में कबाड़ का व्यापार करने वाले शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो (5), बेटे याकूब (3) और पांच माह की एक बेटी की हत्या कर का आरोप था.
हत्या के कुछ दिनों बाद 4 आरोपी पकड़े गये लेकिन 1 आरोपी अभी भी फरार है. इस मामले में 2008 में निचली अदालत ने सभी को फांसी की सजा दी थी.
इसके बाद 2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 4 लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी.
इसके बाद सोनू ने राष्ट्रपति के समक्ष याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी. भारत सरकार ने 8 मई को सोनू की मौत के फरमान पर मुहर लगाई.