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दतिया में पुलिस की भूमिका पर सवाल

दतिया | संवाददाता: दतिया में मची भगदड़ के दौरान पुलिस की भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा पुल टूटने की अफवाह फैलाने से भगदड़ मची जिसके चलते इस हादसे में कम से कम 111 लोगों की जानें चली गई हैं. बताया जा रहा है कि पुल पर जाम की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस द्वारा कहा गया कि पुल टूट रहा है जिससे अफरातफरी का माहौल बना.

यही नहीं घटनास्थल पर पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बलप्रयोग भी करते नज़र आए जिससे स्थिति और बिगड़ी. इसके अलावा कुछ चश्मदीदों द्वारा पुलिसवालों पर भगदड़ के बाद महिलाओं की लाशों से गहने निकालने और फिर लाशों को नदी में फेंक देने के आरोप भी लगाए गए हैं. कुछ ने पुलिसवालों पर जिंदा लोगों को भी धक्का देने का आरोप लगाया है.

मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिये हैं. वहीं भगदड़ में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ताज़ा जानकारी के अनुसार 111 शव मिलने की पुष्टि हो गई है. वहीं सिंध नदी में अब भी गोताखोर शवों की तलाश में लगे हुए हैं. आशंका व्यक्त की जा रही है कि मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है.

इलाके के अनुविभागीय अधिकारी महिप तेजस्वी के मुताबिक इस हादसे में मरने वालों की संख्या 111 हो गई है. वहीं नदी में अब भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. मरने वालों में 33 बच्चे और 47 महिलाएं है.

दतिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस.आर. गुप्ता ने बताया कि अब तक 109 मृतकों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है और उनके शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं. इनमें से 24-24 मृतकों का दतिया और इंदरगढ़ अस्पताल में और 61 मृतकों का पोस्टमार्टम सेंवढा अस्पताल में किया गया है.

ज्ञात्वय रहे कि नवरात्रि के अंतिम दिन रविवार को दतिया रतनगढ़ मंदिर से पहले बने पुल पर भगदड़ मच गई थी. भीड़ ने बड़ी संख्या में महिलाओं व बच्चों को कुचल दिया था, वहीं कई लोग जान बचाने के लिए सिंध नदी में कूद गए थे.

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