छत्तीसगढ़: सब्जी उत्पादक परेशान
जगदलपुर | समाचार डेस्क: नोटबंदी से बस्तर के सब्जी उत्पादक किसान तथा कारोबारी परेशान हैं. एक ओर तो उन्हें अपने उत्पादों का सही दाम नहीं मिल पा रहा है दूसरी ओर उऩके पास खेत में काम करने वाले मजदूरों को देने के लिये नगदी की कमी है. नतीजन, कम संख्या में मजदूर आ रहें हैं.
बस्तर की जमीनी हालत यह है कि सब्जी उत्पादक जिस बैंगन को 10 रुपये किलो के भाव से थोक अढ़तियों को बेचते थे उसे अब 2 रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ रहा है. इसी तरह से करेले का भाव भी गिर गया है.
जगदलपुर के भिरलिंगा गांव के सब्जी उत्पादक किसान राजेश चावड़ा का कहना है कि उन्होंने 10-10 एकड़ में करेला व बैंगन लगाया है. जहां से रोज करीब 5 टन करेला और बैंगन निकल रहा है. जिसे उन्हें घाटे में बेचना पड़ रहा है अन्यथा वह सड़ जायेगा.
वहीं उन्हें प्रति सप्ताह करीब डेढ़ लाख रुपये की मजदूरी का भुगतान करना पड़ रहा जबकि नोटबंदी के बाद बैंक से केवल 25 हजार नगद की निकासी की जा सकती है. साप्ताहिक मजूरी न मिलने से कोई भी मजदूर बेगारी करने को तैयार नहीं है. आखिर उन्हें भी अपने रोजी-रोटी की व्यवस्था करनी है.
कुलमिलाकर नोटबंदी से सब्जी उत्पादक घाटे का सौदा करने के लिये मजबूर हो रहे हैं. उऩकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि यदि सब्जियों को न बंचा जाये तो वे सड़ जायेंगे और न ही उनके पास कोल्ड स्टोरेज की कोई व्यवस्था है जहां सब्जियों को रखा जा सके.