छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: शराब की राशनिंग

रायपुर | संवाददाता: 1 अप्रैल से शराब पर राशनिंग लागू हो जायेगी. सरकार के निगम द्वारा संचालित शराब के दुकानों से एक व्यक्ति को 1 बोतल शराब या 4 क्वार्टर मिलेंगे. शराब दुकान में लगे सीसीटीवी से इस बात की मानिटरिंग की जायेगी कि कोई व्यक्ति अलग-अलग दुकान से इससे ज्यादा शराब तो नहीं ले रहा है. ऐसा करने वाले को कोचिया मानकर उस पर कार्यवाही की जायेगी.

सरकार द्वारा कवायद अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिये किया जा रहा है. गौरतलब है कि राज्य की सात सौ से ज्यादा शराब दुकानों का संचालन शासन अपने हाथों में ले रहा है. छत्तीसगढ़ शासन शराब की बिक्री निगम की मार्फत करेगा.

अब तक निजी ठेकेदारों द्वारा शराब की बिक्री किये जाने से कोई नियम-कायदा लागू नहीं हो रहा था. जिसे जितनी मर्जी उतनी शराब दे दी जा रही है. कई तो पूरी पेटी ही उठाकर ले जाते हैं.

बता दें कि छत्तीसगढ़ के लोग साल में 12 करोड़ लीटर शराब पी जाते हैं. इस तरह से देखा जाये तो मोटे तौर पर छत्तीसगढ़ का हर बाशिंदा साल में औसतन 4 लीटर से ज्यादा शराब पी जाता है. छत्तीसगढ़ में शराब की लत इतनी है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के दौरान पाया गया कि यहां के 52.7 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं. छत्तीसगढ़ में रहने वाली 5 फीसदी महिलायें भी शराबखोरी करती हैं.

शराब पीने वाले पुरुषों का राष्ट्रीय औसत छत्तीसगढ़ से काफी कम 29.3 फीसदी है. गौर करने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर 10 साल पहले पुरुषों में 31.9 फीसदी लोग शराब पीते थे. इस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर शराब पीने वालों की संख्या घटी है. जबकि छत्तीसगढ़ में पिछले 10 पहले की तुलना में 0.4 फीसदी का इज़ाफा हुआ है.

उल्‍लेखनीय है कि दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्‍ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दिया है.

छत्तीसगढ़ आबकारी (संशोधन) अध्यादेश 2017 के अनुसार देशी तथा विदेशी मदिरा दुकानों के राजस्व को सुरक्षित रखने तथा राज्य की जनता के स्वास्थ्य हित की दृष्टि से देशी एवं विदेशी मदिरा की फुटकर विक्रय का अधिकार सार्वजनिक उपक्रम को दिया जा रहा है. इसके लिये राज्य शासन के पूर्ण स्वामित्व वाली नवीन सार्वजनिक उपक्रम बनाया गया है.

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