झोले में शव: डॉक्टरों पर भड़के अधिकारी
जगदलपुर | संवाददाता: जगदलपुर मेकॉज में नवजात का शव 12 घंटे तक झोले में रखे जाने पर अपर कलेक्टर भड़क उठे. कलेक्टर अमित कटारिया के निर्देश पर जगदलपुर मेकॉज पहुंचे अपर कलेक्टर हीरालाल नायक ने गायनिक विभाग की एचओडी डॉ. प्रभा चौहान को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने डॉक्टरों से का मुझे रिपोर्ट मिली है कि कमीशन के लिये यहां से मरीजों को हैदराबाद तथा बैंगलोर रिफर किया जाता है. जब डॉ. एल आजाद ने उन्हें बताया कि बच्चे का शव देकर उसके पिता से पावती ले ली गई थी तो अपर कलेक्टर भड़क उठे. उन्होंने कहा क्या इसी से आपकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है. शव को घर तक क्यों नहीं भेजा. इधर, थैले में शव 12 घंटे तक पड़े रहने के न्यायायिक जांच के आदेश जारी कर दिये गये हैं. इस मामले की जांच एसडीएम एसआर कुर्रे करेंगे. वे अपनी जांच में बतायेंगे कि किन परिस्थितियों में बच्चे को परिजनों को सौंपा गया और बच्चे को किस कारण से 12 घंटे तक झोले में रखना पड़ा.
न्यायायिक जांच के आदेश होने से पहले ही छत्तीसगढ़ शासन के अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय ने मेकाज के डीन को 24 घंटे में मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने कहा था. गायनिक विभाग की एचओडी डॉ. प्रभा चौहान ने जांच के नाम पर एक लाइन में लिख दे दिया कि बच्चे के मरने के बाद उसे विधिवित परिजनों को हैंडोवर कर दिया था. इस रिपोर्ट को मेकाज के प्रवक्ता डॉ. एल आजाद ने अपर कलेक्टर को दिखाया तो वे भी भड़क उठे. उन्होंने प्रवक्ता से पूछा कि जांच ऐसे की जाती है? और रिपोर्ट ऐसे एक लाइन की बनाई जाती है क्या?
डॉक्टरों का कहना है कि एक सामान्य घटना को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. इस पर अपर कलेक्टर भड़क उठे. उन्होंने डॉक्टरों से पूछा कि एक मासूम का शव 12 घंटे तक थैले में पड़ा रहता है, यह सामान्य घटना है क्या? उन्होंने कहा कि अस्पताल मानवता का प्रतीक होता है और जब डॉक्टर ही अमानवीय कृत्यों पर उतारू हो जायें तो व्यवस्था कैसे चलेगी? अपर कलेक्टर ने कहा कि मीडिया में फुटेज चल रहे हैं, फोटो छप रहे हैं, आखिर ये सब हास्पिटल परिसर में ही तो हुआ. जगदलपुर मेकॉज में एक पिता द्वारा अपने नवजात के शव को 12 घंटे तक झोले में रखे जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मीडिया के बाद अब प्रशासन इस मामले में कड़ाई से निपट रहा है.