बाज़ार

नज़रबंद नहीं होंगे सुब्रत रॉय

नई दिल्ली | एजेंसी: सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की उस याचिका को रद्द कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि 10 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था करने के लिए उन्हें तिहाड़ तेल में रखने की जगह नजरबंद किया जाए. अदालत ने राय को जेल से छोड़ने के लिए 10,000 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त रखी है.

राय की याचिका को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने कहा, “हमने गिरफ्तारी का आदेश नहीं दिया है. अगर ऐसा आदेश दिया गया होता तो हम उन्हें कैद में रखते. हमने सिर्फ न्यायिक हिरासत का आदेश दिया है. वह हमारी हिरासत में हैं.”

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अदालत से प्रार्थना की थी कि राय को कम से कम एक सप्ताह के लिए नजरबंद किया जाए, ताकि वे उन अंतर्राष्ट्रीय पक्षों से मिल सकें, जो सहारा की संपत्ति लेना चाहते हैं. उन्होंने तीन अवकाशों का भी हवाला दिया.

जेठमलानी ने कहा, “अवकाश आ रहा है. कौन जेल में जाकर बात करेगा? इससे विश्वसनीयता घटती है. वह भाग नहीं रहे हैं. कृपया उन्हें नजरबंद किया जाए. वह प्रत्येक दिन अदालत में हाजिरी लगाएंगे.”

अदालत ने चार मार्च को आदेश देकर राय और एसआईआरईसीएल तथा एसएचआईसीएल के दो निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दूबे को निवेशकों के पैसे लौटाने से संबंधित आदेश को न मानने पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

सुनवाई के दौरान बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदालत से कहा कि अदालत को वह सवाल तय करना है, जिस पर अब तक बात नहीं हुई है, वह यह है कि “सर्वोच्च न्यायालय वह कौन सा आदेश जारी करे, जिससे उनके आदेश की आज्ञाकारिता सुनिश्चित हो.”

सेबी के वकील अरविंद दत्तार ने अमेरिकी न्यायाधीश के बयान का हवाला देते हुए कहा, “जो अदालत अपने आदेश का पालन सुनिश्चित नहीं कर सकता, वह अदालत बिना न्यायाधीश का अदालत है.”

सेबी के दलील का जवाब देने के लिए राय के वकील द्वारा समय मांगे जाने पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निश्चित की.

न्यायालय ने 26 मार्च को इसी राशि के एक अंश के तौर पर राय से 10 हजार करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था.

अदालत ने 26 मार्च को सहारा से अदालत की रजिस्ट्री में निवेशकों को लौटाई जाने वाली राशि के एक हिस्से के तौर पर 10 हजार करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था.

सहारा समूह की दो कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड-ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचरों के जरिए निवेशकों से 24 हजार करोड़ रुपये जुटाए थे.

सहारा की कंपनियों ने 2012 में सेबी के पास 5,120 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं.

अदालत की रजिस्ट्री में जमा की जाने वाली 10 हजार करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये नकद जमा किए जाने हैं. शेष 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की जमा की जानी है.

अदालत की रजिस्ट्री में जमा की जाने वाली राशि को निवेशकों को लौटाए जाने के लिए सेबी को सौंपा जाएगा.

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