हर व्यक्ति का अपना स्वाद-योगी
नयी उद्योग नीति से चीनी मिलों की जुगलबंदी और गन्ना किसानों के दुर्भाग्य का चक्र टूटेगा या नहीं?
चीनी मिलों के बारे में हमारी नई कार्ययोजना आ रही है. अगले 6 महीनों में हम पांच से छह नयी मिलों का शिलान्यास करने जा रहे हैं. अभी गन्ना किसानों का सीजन चल रहा है. 14 दिन के अंदर गन्ना किसानों का भुगतान उनके खातों में हो, यह आदेश शासन दे चुका है. अगर इस समय सीमा का कोई उल्लंघन करेगा तो फिर आर.सी. जारी होगी और उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होगी जो उन चीनी मिलों के प्रबंधन से जुड़े हुए हैं.
विधानसभा में विपक्ष के नाम पर एक बड़ा खालीपन उत्पन्न हो गया है. ऐसे में स्वस्थ आलोचना उपलब्ध नहीं होगी. लोकतंत्र में स्वस्थ विपक्ष की, स्वस्थ आलोचना की आवश्यकता है. इसकी पूर्ति कैसे करेंगे?
लोकतंत्र सहमति और असहमति के बीच एक समन्वय है. जनता ने जो जनादेश दिया, उस जनादेश का सबको सम्मान करना होगा. दूसरा, यहां किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की नयी सरकार पर पार्टी के नेतृत्व ने, माननीय प्रधानमंत्री जी ने, माननीय अमित शाह जी ने पूरा विश्वास किया है. मैं आश्वस्त करता हूं कि हम जाति-पंथ, मजहब के आधार पर या पार्टी के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे. लेकिन उत्तर प्रदेश के विकास के प्रति उन लोगों का आग्रह होना चाहिए, जो भी इसमें सहयोग करना चाहेगा, हम सबका सहयोग लेंगे. हम उत्तर प्रदेश विधानसभा को संवाद का एक केन्द्र बनाना चाहते हैं. उस संवाद को जो यहां बाधित रहा है, जिसने यहां समस्या का समाधान करने की बजाय नयी-नयी समस्याएं पैदा की हैं, जिसने संघर्ष को जन्म दिया है, यहां जातीय संघर्ष हुए हैं, वर्ग संघर्ष हुए हैं, दंगे हुए हैं, लोगों ने पलायन किया है, व्यापार चौपट हुआ है, तमाम तरह का विकास ठप पड़ा है, सड़कें टूटी हुई हैं, बिजली बदहाल स्थिति में है. विकास के नाम पर पूंजीनिवेश होन की बजाय यहां के उद्योगपति पलायन करके दूसरे क्षेत्रों में गए हैं. हम विधानसभा को एक मंच का रूप देकर, संवाद का मंच बनाकर समस्याओं का समाधान करना चाह रहे हैं. इसके लिए कार्ययोजना प्रारंभ कर दी है. हम एक बार सभी विधायकों के दो दिवसीय प्रशिक्षण की कार्यवाही प्रारंभ करने जा रहे हैं ताकि उन्हें संसदीय ज्ञान, विधायिका के ज्ञान की जानकारी हो. ठोस कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. सब देखेंगे कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ नया परिवर्तन हुआ है. यहां एक रचनात्मक, सकारात्मक ऊर्जा के साथ सरकार कार्य कर रही है.
आरोप लगे थे कि पिछली सरकार ने भर्तियों में जाति विशेष पर और छात्रवृत्तियों आदि में वर्ग विशेष पर ही सारी संपत्ति लुटा दी. इस पर आप क्या कहेंगे?
हमने अपने लोककल्याण पत्र में सारी बातें स्पष्ट कर दी हैं. हमें अफसोस है कि जब हम चुनाव लड़ रहे थे, आचार संहिता लागू थी तब भी पिछली सरकार से जुड़े लोग भर्तियां कर रहे थे. इन सबको समीक्षा के दायरे में लाये हैं. समीक्षा करके प्रभावी कार्रवाई होगी. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार ‘ग्रुप थर्ड’ और ‘ग्रुप फोर्थ’ की नौकरियों में साक्षात्कार की प्रथा समाप्त करके एक पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देगी जिससे उत्तर प्रदेश के नौजवान को एहसास होगा कि ‘हां, मेरी प्रतिभा का अनादर नहीं होगा. मेरी मेरिट का अनादर नहीं होगा. मुझे यहां नौकरी और रोजगार मिल सकता है.’ सरकार यह व्यवस्था करने जा रही है. अन्य क्षेत्रों में भी हम पारदर्शी व्यवस्था देंगे. भ्रष्टाचार के लिए कहीं स्थान नहीं होगा.
पिछले शासन में लैपटॉप तो खूब बंटे मगर बिजली नहीं आयी. सरकार बदलने पर स्थिति बदलेगी? कम से कम, क्या कोई आश्वासन मिलेगा?
आश्वासन नहीं ठोस बात. पहली कैबिनेट बैठक में ही हमने तय कर लिया था कि हम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के जिला मुख्यालयों को चौबीसों घंटे बिजली देंगे. 20 घंटे तहसील मुख्यालयों को तो 18 घंटे गांवों में बिजली देने जा रहे हैं. इसकी कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. 2019 तक पूरे प्रदेश में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराएंगे. दूसरे, ट्रांसफार्मर खराब होने पर जिला मुख्यालयों में 48 घंटे के अंदर बदला जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटे के अंदर बदल जाएगा. इसमें कोई कोताही होगी तो जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी.
बिजली की उपलब्धता रहेगी तो खपत भी निश्चित ही बढ़ेगी. खरीद बढ़ाने के जरूरी आकलन कब करने वाले हैं?
सिर्फ विद्युत खरीद ही नहीं, अधिकांश विषयों पर अच्छी तैयारी है. योजना से जुड़े ज्यादातर आकलन हो चुके हैं. सारा होमवर्क हो चुका है. अब बस निर्णय लेकर आगे बढ़ाना है.
आपने कहा, नई औद्योगिक नीति लाएंगे, तो जो उत्तर प्रदेश की पहचान हैं, जैसे अलीगढ़ का ताला उद्योग, कानपुर की मिलें, क्या इनके लिए अलग से कोई योजना है?
हमारे पास दोनों प्रकार की योजनाएं हैं. एक, नई औद्योगिक नीति के माध्यम से प्रदेश के अंदर जगह-जगह उद्योग लगें, पूंजी निवेश हो. दूसरे, हमारे यहां परंपरागत उद्योग हैं, जैसे मुरादाबाद का पीतल उद्योग, अलीगढ़ का ताला उद्योग, फिरोजाबाद की चूड़ियां और भदोही का कालीन उद्योग आदि. इन सब पर हम एक नयी योजना तैयार कर रहे हैं. हम परंपरागत उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उसे नयी तकनीक के साथ जोड़ने पर काम करेंगे. दूसरा, फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में आपने देखा होगा कि फल के समय किसान के पास आमों का ढेर लग जाता है, दाम गिर जाता है. हम प्रोसेसिंग करके कैसे उसे उसकी उपज का उचित और सम्मानजनक दाम दिला सकें, इस दृष्टि से हम प्रोसेसिंग उद्योग लगाकर जगह-जगह पर कार्य करने जा रहे हैं. हम यह भी सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले. राज्य के अंदर जितनी सहकारी समितियां थीं, सब ‘डिफाल्टर’ घोषित हुई हैं. हम निर्देश जारी कर चुके हैं कि दो बातें सुनिश्चित करें. पहला, सभी सहकारी समितियों की बहाली की व्यवस्था और दूसरा, किसानों की उपज का उनके माध्यम से क्रय. बीच में कोई बिचौलिया न हो. किसान का आधार कार्ड लीजिए, उसकी जोत वही ले लीजिए और उस आधार पर पैसा सीधे किसान के खाते में जाए. यह इसी वर्ष से गेहूं की खरीद के माध्यम से करने जा रहे हैं. हमारे यहां से एक टीम छत्तीसगढ़ गई है. क्योंकि इस संबंध में छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छा काम हो रहा है. हम वैसा काम यहां पर दिखाने जा रहे हैं. साथ ही, पीडीएस तंत्र से खाद्यान्न गरीबों तक नहीं पहुंच पाता. गोदाम से ही वह नेपाल या बंगलादेश पहुंच जाता है. उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न का एक बहुत बड़ा घोटाला है. उसके लिए हमने एक व्यवस्था तैयार कर ली है. अब हर गरीब के घर में खाद्यान्न पहुंचेगा. शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचेगा. अब राज्य में कोई गरीब भूखा नहीं सोएगा, यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है. हमने सभी जिलाधिकारियों को कह दिया है कि यदि कोई भूख या किसी बीमारी से मरेगा तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी.आगे पढ़ें