यूपीएससी टॉपर के पास न कोचिंग ना ही किराये के पैसे
नई दिल्ली | संवाददाता: यूपीएससी टॉपर गोपाल कृष्णा रोनाकी को टॉप 20 सम्मान के लिये सरकार ने दिल्ली बुलाया तो उनके पास किराये के लिये पैसे नहीं थे. यही हाल उनके साथ तब हुआ था, जब उन्होंने हैदराबाद के कोचिंग में दाखिला की कोशिश की थी. तब उन्हें पैसे नहीं होने के कारण कहीं दाखिला ही नहीं मिला.
यूपीएससी की परीक्षा में तीसरा स्थान पाने वाले गोपाल कृष्णा रोनाकी के पिता अप्पा राव किसान हैं और गोपाल ने बड़ी मुश्किल से अपनी पढ़ाई की है. यहां तक कि उन्होंने ग्रेजुएशन भी प्राइवेट से किया. लेकिन किसान पिता और अनपढ़ मां चाहती थीं कि गोपाल किसी भी तरह से पढ़ कर बड़ा आदमी बने. गोपाल ने भी मां-बाप के सपने को सच करने की ठानी.
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक गांव है पारासांबा. गोपाल का कहना है कि गांव में पढ़ाई या प्रतियोगिता का कोई बेहतर अवसर नहीं था, इसलिये उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिये हैदराबाद में कोचिंग करने की सोची.
लेकिन पैसे की कमी के कारण हैदराबाद में किसी भी कोचिंग सेंटर ने उन्हें दाखिला नहीं दिया. फिर घर की माली हालत देख कर उन्होंने श्रीकाकुलम के एक स्कूल में पढ़ाना शुरु किया. गोपाल को समझ में आने लगा था कि नौकरी और यूपीएससी की तैयारी एक साथ नहीं हो सकती.
उन्होंने स्कूल की नौकरी छोड़ी और फिर यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी. तेलुगू साहित्य के साथ परीक्षा देने वाले गोपाल आंध्र और तेलंगाना में टॉप हुये. इसके अलावा पूरे देश में उन्होंने तीसरा स्थान पाया.
गोपाल कृष्णा रोनाकी की आर्थिक स्थिति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने जब देश के 20 यूपीएससी टॉपर को सम्मान के लिये बुलाया तो गोपाल के पास किराये तक के पैसे नहीं थे. उन्होंने उधार लिया और फिर दिल्ली पहुंचे.
गोपाल कहते हैं- सफलता के लिये सबसे जरुरी है मेहनत. इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है. अपने ऊपर आत्मविश्वास होना चाहिये. और हां, गोपाल का यह भी कहना है कि आप जिस भाषा में पारंगत हों, उसी भाषा में अपने को प्रस्तुत करने की कोशिश करें. गोपाल ने यूपीएससी के लिये इंटरव्यू तेलुगू में ही दिया, जहां दुभाषिये के सहारे उनके ज्ञान को परखा गया.