आज उत्तरप्रदेश, उत्तर देगा
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: आज उत्तरप्रदेश के मतदाता उत्तर देंगे. हालांकि, उत्तरप्रदेश के मतदाताओँ ने मतदान के दिन ही अपना उत्तर दे दिया था लेकिन उसका खुलासा आज होगा. बेशक, आज पांच राज्यों के विधानसभाओं के नतीजे आयेंगे लेकिन सबसे बेसब्री से उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे का इंतजार किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव के समय से देश के सत्ता के शीर्ष पर विराजमान नरेन्द्र दामोदर मोदी के विरोधी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहें हैं. इतना तय है कि, यदि आज वे मोदी को न ‘रोक’ पाये तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें नहीं ‘रोका’ जा सकेगा.
जाहिर है कि इसका अहसास प्रधानमंत्री मोदी को भी है. इसीलिये तमाम आलोचनाओँ के बाद भी वे अपने संसदीय क्षेत्र में तीन दिनों तक जमे रहे तथा रोडशो के बाद भी घर-घर जाकर प्रचार किया है. इसके नतीजे यदि उनके लिये सकारात्मक रहे तो ‘हर हर मोदी घर घर मोदी’ का नारा जमीनी वास्तविकताओं में तब्दील हो जायेगा. इसी के साथ कई भाजपा शासित राज्यों में फेरबदल के कयास लगाये जा रहें हैं.
विरोधियों में वामपंथ अपने सबसे निचले पायदान पर है. इन चुनावों में वह कहीं पर भी मुकाबले में नहीं है. एक बार जब मौका मिला था उस समय उन्होंने ‘ऐतिहासिक भूल’ के मार्फत भारतीय राजनीति में अपनी भूमिका तय कर दी थी. उसके बाद से संसदीय राजनीति में एक उभार के बाद वामपंथ तेजी से अपनी जमीन खोता चला जा रहा है.
कांग्रेस के लिये यह सेमी फायनल माना जा रहा है. यदि उत्तरप्रदेश में उसका प्रदर्शन अच्छा न रहा तो राहुल गांधी के नेतृत्व से कांग्रेसियों का भरोसा उठ जायेगा. उसकी हालत उस डूबते हुये जहाज के समान हो जायेगी जिससे सभी पहले कूदकर भागना चाहेंगे. वैसे कांग्रेस ने अखिलेश के साथ दांव लगाया है. यदि दांव सफल रहा तो राहुल गांधी कांग्रेसियों के लिये ही नहीं वरन विपक्ष के लिये भी केन्द्र में एक स्वीकार्य नेता बन सकते हैं.
अखिलेश यादव ने परिवार तथा पिता के साथ ‘पंगा’ लेकर अपनी अलग राह चुनी है. राजनीति के पुराने ‘पहलवान’ मुलायम सिंह अभी चुप हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि समाजवादी पार्टी का पतन हो. परन्तु यदि उत्तरप्रदेश में फिर से सरकार न बनी तो अखिलेश यादव के विरोधी उन पर चढ़ बैंठेंगे. तब सत्ता से करीबी चाहने वाले उनके सहयोगी ही उनके सबसे बड़े दुश्मन बन जायेंगे.
मायावती चुप है तथा उसके मतदाता भी मुखर नहीं हैं. उनकी चुप्पी आज क्या गुल खिलायेगी वह दोपहर तक स्पष्ट हो जायेगा. इस बीच एक्जिट पोल आने के बाद ‘बबुआ’ ने ‘बुआ जी’ के साथ नजदीकिया बढ़ाने का संकेत दिया है. हालांकि, ‘बुआ जी’ ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. बसपा का हाथी कौन सी करवट लेगा आज दोपहर तक साफ हो जायेगा.
उधर, आम आदमी पार्टी को पंजाब से काफी उम्मीद है. आम आदमी पार्टी तो गोवा को लेकर भी दावे कर रही थी जहां भाजपा की सरकार है. इस चुनाव में सफलता के बाद अरविंद केजरीवाल अपना रुख गुजरात की ओर करने वाले हैं. भाजपा उत्तरप्रदेश में चाहे जीते या हारे, पंजाब की जीत अरविंद केजरीवाल को केन्द्र में एक वैकल्पिक नेता के तौर पर स्थापित कर सकती है जिसके चारों ओर विपक्ष लोकसभा चुनाव में गोलबंदी कर सकता है.
कुलमिलाकर ‘महाभारत के कृष्ण’ के समान सभी विधानसभा चुनाव मोदी ही लड़ रहें हैं इसीलिये लोग बेसब्री से चुनाव नतीजे सामने आने का इंतजार कर रहें हैं.