हसदेव में पेड़ कटाई की अनुमति नहीं-छत्तीसगढ़ सरकार
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य के परसा में कोयला खदानों के लिए 300 से अधिक पेड़ों की कटाई के बाद केंद्र सरकार से कहा है कि पेड़ों की कटाई की अनुमति वर्तमान में नहीं दी गई है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि अभी पेड़ों की गणना चल रही है.
इस पत्र के बाद सवाल उठ रहे हैं कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना हसदेव अरण्य के परसा कोयला खदान में आखिर पेड़ों की अवैध कटाई कौन करवा रहा था, जिसके बारे में वन विभाग को पता ही नहीं है.
परसा कोयला खदान के इलाके में सुरक्षाबलों की उपस्थिति में पिछले महीने की 26 तारीख़ को पेड़ों की कटाई की गई थी. सैकड़ों पेड़ रातों-रात काट दिये गये थे.
जिसे आदिवासियों के विरोध के बाद बंद करना पड़ा था.
पेड़ों की कटाई का यह मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी पहुंचा था.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस खदान के भूमि अधिग्रहण को लेकर मामला दायर है. अगर यह भूमि अधिग्रहण ही रद्द हो गया तो क्या काटे गये पेड़ों को पुनर्जीवित किया जा सकता है?
अब केंद्र सरकार को लिखे एक पत्र में छत्तीसगढ़ सरकार पेड़ों की कटाई से ही मुकर गई है.
छत्तीसगढ़ ने केंद्र सरकार को लिखा जलेबीदार जवाब
परसा कोयला खदान के आवंटन और पेड़ों की कटाई को लेकर भारत सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से संबद्ध नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब तलब किया था.
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने अपनी एक रिपोर्ट में हसदेव के इलाके को बाघ के मूवमेंट वाले इलाकों में शामिल रखा था. ऐसे में क़ानूनन कोयला खदान की स्वीकृति से पहले नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति लिया जाना ज़रुरी था.
लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को इस संबंध में सूचना तक नहीं दी थी.
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी यानी राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को 29 अप्रैल को पत्र क्रमांक 1-4, 2021-NTCA के द्वारा बिना अनुमति के कोयला खनन के लिए ज़मीन दिए जाने और पेड़ों की कटाई के मामले में आवश्यक कार्रवाई कर जवाब देने के लिए कहा था.
अब छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अवर सचिव के पी राजपूत ने 9 मई को 2022 को पत्र क्रमांक एफ 5-17/2018/10-2 द्वारा जवाब देते हुए पेड़ों की कटाई से ही इंकार कर दिया है.
अपने जवाब में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि- “परसा ओपन कास्ट कोल माईनिंग रकबा 841.538 हेक्टेयर प्रकरण में प्रथम वर्ष 2022-23 में 43.18 हेक्टेयर में कटाई की जानी है, जिसमें वृक्षों की गणना का कार्य प्रगति पर है. वृक्षों की कटाई की अनुमति वर्तमान में नहीं दी गई है.”
हालांकि इस पत्र में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति को लेकर राज्य सरकार ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट पर बिना टिप्पणी किए, उनके अध्ययन पर ही सवाल उठा दिए हैं.
परसा के पेड़
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के परसा कोयला खदान को राजस्थान सरकार को आवंटित किया गया है, जिसे MDO के तहत अडानी समूह को दे दिया गया है. इस आवंटन का स्थानीय आदिवासी विरोध कर रहे हैं.
आदिवासियों का कहना है कि इस खदान की स्वीकृति फर्जी ग्रामसभा के आधार पर ली गई है और पीईकेबी में लगभग 4 लाख व परसा कोयला खदान में लगभग ढ़ाई लाख पेड़ों की कटाई होगी. इससे हसदेव अरण्य का विनाश हो जाएगा.
WII ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किए गए अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में इस इलाके में एक भी खदान खुलने पर विनाशकारी स्थितियों की चेतावनी जारी की थी.
लेकिन इन सबको हाशिये पर डाल कर न केवल परसा कोयला खदान को मंजूरी दे दी गई, बल्कि पेड़ों की कटाई भी शुरु कर दी गई.
पेड़ों की कटाई का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा.
लेकिन केंद्र सरकार को लिखे पत्र में छत्तीसगढ़ सरकार ने पेड़ों की कटाई से ही इंकार के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर पेड़ों की अवैध कटाई किसके कहने पर की गई?