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हसदेव में 7 जून से हो सकती है पेड़ों की कटाई

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित हसदेव अरण्य के सरगुजा इलाके में पहले से चल रहे पीईकेबी खदान के दूसरे चरण के लिए हजारों पेड़ों की कटाई को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है.

अगर सब कुछ ठीक रहा तो 7 जून से पेड़ों की कटाई की प्रक्रिया शुरु हो सकती है.

यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब छत्तीसगढ़ के कई शहरों में तापमान 47 डिग्री को पार कर चुका है. देश की राजधानी दिल्ली में मौसम का पारा 52 डिग्री को पार कर चुका है.

भारत सरकार के उपक्रम भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पहले ही चेतावनी दी है कि हसदेव में एक भी नए खदान को मंजूरी दी गई तो मानव-हाथी संघर्ष विकराल रुप ले सकता है, जिस पर काबू पाना असंभव होगा.

हसदेव अरण्य के सरगुजा इलाके में परसा ईस्ट केते बासन यानी पीईकेबी खदान को दो चरणों में मंजूरी दी गई थी.

राजस्थान सरकार को आवंटित यह खदान, राजस्थान सरकार ने अडानी समूह को एमडीओ के तहत दी है.

इस खदान का पहला चरण 2028 में समाप्त होना था.

लेकिन पहले चरण का सारा कोयला 2022 में ही खोद कर निकाल लिया गया.

राजस्थान सरकार ने इस खदान का 29 फ़ीसदी ‘रिजेक्ट’ कोयला अडानी समूह को देने का करार किया था.

इसी ‘रिजेक्ट’ कोयले से अडानी समूह अपने पावर प्लांट चलाता रहा है.

इसके अलावा राजस्थान सरकार अपनी ही खदान से कोल इंडिया के मुकाबले 276 रुपये प्रति टन अधिक की दर से खरीदती रही.

अब सरगुजा इलाके के इसी खदान पीईकेबी के दूसरे चरण का काम शुरु होने वाला है. इसके लिए हज़ारों की संख्या में पेड़ों की कटाई की जाएगी.

राजधानी से पेड़ों की कटाई को मंजूरी मिलने के बाद, अब वन विभाग ने स्थानीय स्तर पर भी तैयारी शुरु कर ली है.

अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कटाई के लिए पहले की तरह भारी सुरक्षाबल का उपयोग किया जाएगा.

इसके अलावा खदान का विरोध कर रहे लोगों को पिछली बार की तरह इस बार भी हिरासत में लिया जा सकता है.

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