छत्तीसगढ़ में 46 नहीं, केवल 19 बाघ बचे
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या आधी रह गई है. 2014 में राज्य में 46 बाघ होने का दावा किया गया था. लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में केवल 19 बाघ रह गये हैं.
यह स्थिति तब है, जब देश भर में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है.
राज्य में लगातार होने वाले शिकार और वन विभाग के अफसरों की लापरवाही के कारण राज्य में बाघ संकट में आ गये हैं. हालत ये है कि अधिकांश अभयारण्यों में बाघों की निगरानी की कोई पुख्या व्यवस्था राज्य बनने के 19 सालों बाद भी नहीं बन पाई है.
बाघों की निगरानी करने के लिये अलग-अलग अभयारण्यों में रखे गये दैनिक वेतनभोगी मजदूरों को कई-कई महीने का वेतन वन विभाग नहीं देता. इसके उलट राजधानी में बैठे अफसर लाखों रुपये अपना चेंबर सजाने में खर्च कर देते हैं.
आंकड़े
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी कि देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य 4 साल पहले हासिल कर लिया है. प्रधानमंत्री ने अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 जारी करते हुए कहा कि करीब 3000 बाघों के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा और सुरक्षित ठिकाना है.
सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व तमिलनाडु को सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व का पुरस्कार दिया गया. इससे पहले 2014 में बाघों की गिनती हुई थी. तब इनकी कुल संख्या 2226 थी, जबकि 2010 में देश में 1706 बाघ थे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ से शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वह यहीं खत्म नहीं होनी चाहिए. कभी सिनेमा वाले गाते थे ‘बागों में बहार है’ अब गाएंगे ‘बाघों में बहार है’. बाघों के संरक्षण के लिए और प्रयास करने की जरूरत है.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब 14-15 साल पहले यह खबर आई थी कि देश में केवल 1400 बाघ बचे हैं, तो यह बहुत बड़ी चिंता की बात थी. एक बहुत मुश्किल काम सामने था, लेकिन जिस तरह संवेदनशीलता और आधुनिक तकनीक के साथ इस मुहिम को आगे बढ़ाया गया वह तारीफ के काबिल है. बाघों की तीन चौथाई संख्या का बसेरा आज हिंदुस्तान है.