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‘आतंकी गढ़ों’ पर होगी चर्चा

वाशिंगटन | एजेंसी: पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर मोदी-ओबामा में चर्चा होगी. इस बात के संकेत अमरीकी प्रवक्ता ने दी है कि अमरीका भी पाकिस्तान स्थित ‘आतंक के सुरक्षित ठिकानों’ से परेशान है. गौरतलब है कि भारत तथा अमरीका के बीच बढ़ती नजदिकियां पाकिस्तान के लिये चिंता का सबब हो सकती है. इससे पहले पाकिस्तान, दक्षिण एशिया में अमरीका का मुख्य रणनीतिक सहयोगी रहा है परन्तु मोदी सरकार के आने से दक्षिण एशिया का शक्ति संतुलन बदलने लगा है. इसका कारण है कि भारत की विदेश नीति में तेजी आई है तथा भारत ने चीन-जापान जैसे देशों से इफने व्यापारिक रिश्तों के बढ़ा लिया है. जाहिर है कि जिस देश के साथ व्यापारिक रिश्ते हों उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. इससे पाकिस्तान, अलग-थलग पड़ता जा रहा है. अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी चर्चा में पाकिस्तान के कुछ इलाकों में आतंकवादियों के ‘सुरक्षित ठिकानों’ और आतंकवाद से मुकाबला करने के तरीकों पर चर्चा होगी. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया, “अमरीका आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले में भारत के साथ अपने संबंधों को तवज्जो देता है. इसलिए हम निश्चित रूप से भारत के साथ इनकी चर्चा करने में रुचि रखते हैं ताकि हम इस संबंध को मजबूत कर सकें.”

उन्होंने कहा, “ओबामा प्रशासन काफी लंबे समय से पाकिस्तान में आतंकियों के कुछ सुरक्षित ठिकानों को लेकर चितित रहा है. इन स्थानों से चरमपंथी बिना किसी डर के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं और कई मामलों में इन सुरक्षित ठिकानों का इस्तेमाल अफगानिस्तान में तैनात अमरीकी फौजों के खिलाफ हमले में किया जाता है.”

अर्नेस्ट ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है, जिसके बारे में हम चिंतित हैं और हमने पाकिस्तान में अपने समकक्षों के साथ इस पर चिंता जाहिर की है.”

उन्होंने कहा “पाकिस्तान उन क्षेत्रों में मौजूद चरमपंथियों का खात्मा करने के लिए अतिरिक्त कदम भी उठा चुका है और हम निश्चित रूप से उन कदमों का स्वागत करते हैं.”

पिछले साल अगस्त महीने में भारत यात्रा पर पहुंचे रक्षा मंत्री चुक हेगल ने कहा कि अमरीका-भारत संबंध उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है.

उप रक्षामंत्री फ्रैंक केंडल इस समय भारत में हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति ओबामा की बैठकों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह भारत के लिए अद्भूत समय है. यह निश्चित रूप से भारत और अमरीका के बीच संबंध को मजबूत करने के लिए सही समय है.”

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