स्वामी अग्निवेश की चिट्ठी रमन सिंह के नाम
नई दिल्ली | संवाददाता: स्वामी अग्निवेश ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को पत्र लिखा हैऔर वर्षा डोंगरे प्रकरण पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है. स्वामी अग्निवेश ने अपने पत्र में कहा है कि वर्षा डोंगरे ने अपने फेसबुक पोस्ट में जो लिखा है, उसकी जांच करवाई जाये.
स्वामी अग्निवेश ने अपने पत्र में कहा है कि-वर्षा डोंगरे जगदलपुर जेल में भी काम कर चुकी है. जगदलपुर में अपने काम के दौरान वर्षा डोंगरे ने जेल में नाबालिग लड़कियों को पुलिस द्वारा जेल में लाकर बंद किये जाते देखा. वर्षा डोंगरे ने यह भी देखा कि इन छोटी छोटी आदिवासी लड़कियों के स्तनों और कलाइयों पर बिजली से जलाए जाने के निशान थे जो पुलिस के कर्मचारियों द्वारा उन्हें थाने में लगाए गए थे.
स्वामी अग्निवेश ने लिखा है-हम सभी जानते हैं कि भारत में पुलिस द्वारा थानों में थर्ड डिग्री एक हकीकत है. लेकिन आपके राज्य छत्तीसगढ़ में जो कि मेरा भी राज्य है वहां इसे रोकने की कोशिश तो हम लोगों को मिल कर करनी ही चाहिए. ऐसे में जब एक महिला जेल अधिकारी पूरी हिम्मत के साथ हम सब का ध्यान इस भयानक स्थिति की तरफ दिला रही है तो हमें उस महिला अधिकारी का धन्यवाद देना चाहिए और इस बुराई को समाप्त करने के लिए प्रशासनिक कदम उठाने चाहियें. लेकिन दुःख की बात यह है कि इस हिम्मती दलित महिला अधिकारी की हिम्मत बढाने की बजाय निलम्बित किया गया और आपकी सरकार के गृह मंत्री ने इस हिम्मती महिला के शहरी माओवादी होने की भी टिप्पणी कर दी.
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने लिखा है-मुझे याद है माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जब सलवा जुडूम के मामले में आदेश दिया गया था तब भी छत्तीसगढ़ के तत्कालीन गृह मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के जज के माओवादी समर्थक होने का बयान दिया था. सुकमा के दलित जज प्रभाकर ग्वाल को भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने पर बर्खास्त कर दिया गया. मुझे लगता है इस तरह हम अगर हरेक आलोचक को माओवादी कह कर ख़ारिज करते जायेंगे तो फिर सरकार को यह कैसे पता चलेगा कि सरकार से क्या गलतियां हो रही हैं ?
उन्होंने लिखा है- हम सब शान्ति चाहते हैं. उससे भी ज्यादा हम न्याय चाहते हैं. हम मानते हैं जहां अन्याय है वहाँ शान्ति नहीं हो सकती. इसलिए जो भी न्याय की बात करता है समझ लीजिये वह शान्ति लाने का रास्ता बता रहा है. लेकिन अगर सरकार न्याय की बात करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, को न्याय के लिए कोशिश करने की वजह से माओवादी घोषित करके उन को जेलों में डाल देंगे या उन्हें छत्तीसगढ़ से बाहर भगा देंगे तो फिर कोई भी न्याय और शान्ति के लिए आवाज़ उठाने में डरेगा.
हरियाणा सरकार में मंत्री रहे स्वामी अग्निवेश ने लिखा है- सत्ता एक आनी जानी चीज़ है. आज आप सत्ता पर हैं, कल कोई दूसरा होगा. कल आप जब विपक्ष में होंगे तब आप के पास लोग न्याय पाने के लिए आयेंगे और आप उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे. उस समय अगर कोई आपको माओवादी समर्थक कह कर आपको बदनाम करेगा तो आपको कैसा महसूस होगा, सोचियेगा?
स्वामी अग्निवेश ने लिखा है- वर्षा डोंगरे एक लोक सेवक है. लोक सेवक का कर्तव्य संविधान, कानून और जनता के हित में काम करना है. लोक सेवक किसी पार्टी या किसी सरकार का समर्थक नहीं होता. वर्षा डोंगरे ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाई है. वर्षा डोंगरे का निलम्बन सरकार की छबि तो धूमिल करेगा ही, साथ ही सरकार का यह कदम छत्तीसगढ़ में शान्ति स्थापना की सरकार की घोषणा पर भी शक पैदा करेगा.
उन्होंने रमन सिंह से अपील करते हुये लिखा है कि मुख्यमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें और वर्षा डोंगरे का निलम्बन रद्द कर उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों पर एक जांच दल का गठन करें. स्वामी अग्निवेश ने लिखा है कि यदि छत्तीसगढ़ में शान्ति स्थापना में आप हमारी किसी सेवा की ज़रूरत महसूस करें तो हम उसके लिए सदैव तत्पर हैं.