UP: समाजवादी कुनबे में दरार
लखनऊ | समाचार डेस्क: चाचा-भतीजे की लड़ाई से समाजवादी पार्टी टूटने के कगार पर पहुंच गई है. गुरुवार को शिवपाल यादव ने पार्टी तथा मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. शिवपाल यादव के साथ ही उऩके बेटे आदित्य यादव ने पीसीएफ के चेयरमैन के पद से तथा पत्नी सरला यादव ने कोऑपरेटिव निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव का मंत्री पद से इस्तीफा लौटा दिया है तथा मुलायम सिंह ने उऩका यूपी पार्टी अध्यक्ष के पद से दिये गये इस्तीफे को भी स्वीकार नहीं किया है. इसके बाद भी हालात उस कगार पर पहुंच गई है जहां परिवार में पड़ी दरार से पार्टी के टूटने के हालात बन गये हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि शिवपाल यादव के कुछ समर्थक मंत्री भी इस्तीफा दे सकते हैं. शिवपाल के इस्तीफे की सूचना मिलने के बाद गुरुवार आधी रात को उनके आवास पर सैकड़ों समर्थक जमा हो गये और नारेबाजी करने लगे. शिवपाल सपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता विरोधी दल रह चुके हैं. मौजूदा सरकार में वे सबसे कद्दावर मंत्री थे. तीन दिन पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह ने उन्हें अखिलेश यादव की जगह सपा का प्रदेश अध्यक्ष नामित किया था.
इससे खफ़ा मुख्यमंत्री ने शिवपाल से लोकनिर्माण, सिंचाई, सहकारिता और राजस्व जैसे अहम विभाग छीन लिये. इससे शिवपाल काफी आहत थे. शिवपाल, मुलायम के बेहद नजदीक रहे हैं. उनके एजेंडे के लिए सब कुछ करते रहे हैं. वे पार्टी में लंबे समय से अहम भूमिका में हैं.
सपा नेताओं का मानना है कि सपा के गठन के बाद पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन शिवपाल के इस्तीफे से उपजे संकट जैसे हालात पहले नहीं बने. यदि सपा मुखिया हालात संभालने में नाकाम रहे तो पार्टी में विभाजन की स्थिति भी बन सकती है.
अखिलेश-शिवपाल टकराव
चाचा शिवपाल यादव तथा भतीजे अखिलेश यादव में कई मुद्दों पर सहमति नहीं रही है. शिवपाल यादव कौमा एकता दल का पार्टी में विलय करवाना चाहते थे परन्तु अखिलेश यादव ने इसमें रोड़ा अटका दिया था. शिवपाल पार्टी में अमर सिंह के वापसी के पक्ष में थे जबकि अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव तथा आजम खान के विरोध के कारण इसके पक्ष में नहीं थे.
मुख्य सचिव आलोक रंजन का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद शिवपाल ने अपने सिचाई विभाग के प्रमुख सचिव रहे दीपक सिंघल को मुख्य सचिव बनवा दिया जबकि अखिलेश यादव इसके पक्ष में नहीं थे.
मुलायम पर टिकी नजर
गुरुवार के घटनाक्रम के बाद सबकी नजर मुलायम सिंह पर टिकी हुई है. शुक्रवार को यदि मुलायम सिंह अखिलेश-शिवपाल में कोई समझौता नहीं करा पाये तो विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी में टूट का खतरा बना रहेगा.