सात हत्यारों को होगी फांसी

नई दिल्ली | संवाददाता: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फांसी की सजा पाए नौ गुनहगारों की दया याचिका पर फैसला सुना दिया है. ये सभी नौ मुजरिम सात अलग-अलग मामलों में दोषी पाए गए थे. राष्ट्रपति ने इन 9 में से 7 लोगों को फांसी की सजा को बरकरार रखा है. इनमें से एक धर्मपाल नाम का शख्स हरियाणा में रेप और हत्या का दोषी है.

इससे पहले रेप और हत्या के आरोप में धनंजय चटर्जी को फांसी मिली थी. अलीपुर सेंट्रल जेल में 14 अगस्त 2004 में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी. चटर्जी ने 14 वर्षीय हेतल पारिख के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी. यानी धनंजय के बाद अब धर्मपाल को फांसी दी जाएगी.

सात अलग-अलग मामलों में से पांच मामलों में राष्ट्रपति ने सात लोगों की फांसी की सजा बरकरार रखी है. जबकि दो मामलों में फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है. हालांकि जिन दो मामलों के दोषियों की सजा आजीवन कारावास में बदली है, उनके लिए ये शर्त भी रखी है कि उन्हें पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी, उन्हें 14 या 20 साल बाद रिहा नहीं किया जा सकेगा.

इन दया याचिकाओं पर फैसला सुनाने के बाद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास कोई भी दया याचिका लंबित नहीं है. जिन मामलों पर राष्ट्रपति ने अपना रुख साफ किया है, उनमें गुरुमीत सिंह जिस पर 13 हत्याओं का, उत्तरप्रदेश के सुरेश और राम जी पर हत्या का आरोप, हरियाणा के धर्मपाल पर रेप और हत्या का आरोप, हरियाणा के ही संजीव और सोनिया पर हत्या के आरोप,
उत्तराखंड के सुंदर सिंह पर हत्या का आरोप, उत्तरप्रदेश के ही जफर अली पर हत्या का आरोप और कर्नाटक के प्रवीण कुमार पर हत्या के आरोप हैं.

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