एससी एसटी पुलिस अधिकारी छत्तीसगढ़ में परेशान
रायपुर | संवाददाता: एससी एसटी अधिकारी और कर्मचारी छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार में निशाने पर हैं.राज्य सरकार द्वारा 47 पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद सरकार पर यह आरोप लगा है. सरकार ने पिछले सप्ताह इन अधिकारियों को खराब सेवाकाल का हवाला दे कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. आरोप है कि सरकार के इस निर्णय में एससी और एसटी वर्ग के जुड़े लोगों को जानबूझ कर निशाना बनाया गया. आदिवासी सर्व समाज के अलावा नेता प्रतिपक्ष भी इन पुलिस कर्मचारियों के पक्ष में उतर आये हैं.
छत्तीसगढ़ सर्व समाज के अरविंद नेताम ने कहा कि शासन ने आदिवासी और पिछड़ी जाति के लोगों के खिलाफ यह दुर्भावनावश कार्रवाई की है. नेताम ने कहा कि शासन ने यह कार्रवाई करने से पहले उक्त पुलिस कर्मचारियों को न सुधरने का मौका दिया, न चेतावनी दी और न ही बर्खास्त करने के पहले उन्हें क्यों बर्खास्त किया जा रहा है, यह कारण बताया.
आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि एससी एसटी वर्ग के लोगों के खिलाफ सरकार ने यह कार्रवाई संविधान की धारा 311/2 के अंतर्गत युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना की है. साथ ही बिना कारण बताए नोटिस को लोकहित बता कर जबरन सेवानिवृत्त किया गया है, जो अनुच्छेद 16/4 (क) का उल्लंघन है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त नवल सिंह मंडावी ने आरोप लगाया कि शासन में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. पुलिस विभाग में लगभग 40 ऐसे कई सवर्ण वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी हैं जिनके विरुद्ध कदाचरण व आपराधिक मामले दर्ज हैं. यहां तक कि शारीरिक रुप से अक्षमता होने के बावजूद इन अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने एससी एसटी वर्ग समेत दूसरे अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बजाए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर विचार करने के सुझाव के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखते हुये कहा है कि कार्रवाई से पहले संबंधित शासकीय सेवकों को भरोसे में क्यों नहीं लिया जा रहा है. इससे आरक्षित वर्ग के साथ भेदभावपूर्ण कार्रवाई का संदेश गया है. ऐसी कार्रवाई के जरिए आरक्षित वर्ग को मुख्यधारा से अलग करने की कोशिश है.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि राज्य शासन के इस उपेक्षित एवं तानाशाही रवैये तनाव की स्थिति बन गई है. वहीं शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी विपरीत असर पड़ने की आशंका है. नेता प्रतिपक्ष ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बजाए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के विकल्प पर जोर दिया, वहीं सीएम से इस मामले में ठोस निर्णय लेने की अपील की है.