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पुलिस प्रताड़ना के ख़िलाफ़ सर्व आदिवासी समाज का प्रदर्शन

रायपुर | संवाददाता : आदिवासी नेताओं को माओवादी बता कर जेल भेजे जाने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को सर्व आदिवासी समाज ने मोहला मानपुर ज़िले में बड़ा प्रदर्शन किया.

आदिवासियों ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार आदिवासियों को निशाना बना रही है. आदिवासियों की प्रताड़ना और फर्जी मुठभेड़ जैसे मुद्दों पर सवाल उठाने वाले लोगों को माओवादी बता कर गिरफ़्तार किया जा रहा है.

इन्हीं मुद्दों को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने शुक्रवार को जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया था.

बलौदा बाज़ार में हिंसा की घटना को देखते हुए मोहला मानपुर में भी भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था.

लेकिन आदिवासी पुलिस सुरक्षा को धता बता कर आंदोलन में शामिल होने पहुंच गए.

आदिवासियों ने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में आदिवासी, माओवादियों से कहीं अधिक पुलिस से प्रताड़ित हो रहे हैं. आदिवासियों को किसी भी समय थाने में बुला लिया जा रहा है. आधी रात को घरों में पुलिस घुस कर निर्दोष लोगों को प्रताड़ित कर रही है. आदिवासियों की पीड़ा कोई सुनने वाला नहीं है.

आदिवासी नेताओं ने कहा कि बस्तर में जिस तरह से सारकेगुड़ा, एड़समेटा, ताड़मेटला जैसी घटनाएं हुईं लेकिन इनकी आज तक जांच रिपोर्ट तक पेश नहीं की गई.

बस्तर के सलवा जुड़ूम का उदाहरण देते हुए कहा गया कि जिस तरह बस्तर में 644 गांव उजाड़े गए थे, उसी तरह आज राज्य के कई हिस्सों में आदिवासियों को पुलिस प्रताड़ना के कारण अपने घरों से भागना पड़ रहा है.

पीयूसीएल ने भी जताई चिंता

इधर मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने भी बस्तर की सुनीता पोट्टम और मूलवासी बचाओ मंच के सदस्यों व बस्तर के कार्यकर्ताओं पर हो रहे अत्याचार की आलोचना की है.

पीयूसीएल के डिग्री प्रसाद चौहान, रिनचिन और श्रेया ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि पिछले सप्ताह रायपुर से गिरफ़्तार की गई सुनीता पोट्टाम ‘मूलवासी बचाओ मंच’ की बीजापुर अध्यक्ष हैं. वे आदिवासी मुद्दों पर लगातार संघर्ष करती रही है.

बयान में आरोप लगाया गया कि वे आदिवासी नेताओं के साथ सरकारी अधिकारियों यहां तक कि मुख्यमंत्री तक से मिलती रही हैं लेकिन उन्हें फरार बता कर, उन्हें गिरफ़्तार किया गया.

बयान में कहा गया कि सुनीता पोट्टाम को इस तरह उठाया जाना आदिवासी कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों की पिछले कुछ महीनों में हुई बेलगाम गैर कानूनी गिरफ्तारियों के सिलसिले की ही एक कड़ी है. इनमें आदिवासी नेता सरजू टेकम भी शामिल हैं. जिस तरह से उन्हें पुलिस द्वारा गैर कानूनी तरीके से ले जाया गया था, वही उत्पीड़न का तरीका मानवाधिकार रक्षक सुनीता पोट्टाम की गिरफ़्तारी में भी दिखता है.

पीयूसीएल ने आरोप लगाया कि पुलिस ने 2021 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन के दौरान हिडमें मरकम को फर्जी पुरानी तारीख की एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. मरकम बाद में बाइज्जत बारी हो गई पर उन्हें 2 साल फर्जी आरोप के तहत जेल में बिताने पड़े.

बयान में कहा गया है कि अब यही चालबाजी का बेलगाम उपयोग इस क्षेत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, खास तौर पर ‘मूलवासी बचाओ मंच’ के युवा और जूझारु नेताओं को परेशान और उत्पीड़ित करने की मंशा से हो रहा है.

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