बस्तर में कानून के राज की अपील की गई
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: देश के जाने-माने लोगों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में कानून के राज की मांग की है. देश के 125 प्रख्यात पत्रकार, संपादक, अर्थशास्त्री, फिल्मकार, अभिनेत्री तथा सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ताओं ने एक पत्र के माध्यम से मांग की है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकार के हनन के शिकार व्यक्ति तक कोई भी पहुंच सके तथा मानवाधिकार का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो.
संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि बस्तर में कानून का राज हो तथा सुरक्षा बल व राज्य की अन्य संस्थायें कानून और संविधान के दायरे में रहकर काम करें. इस पत्र में अपील की गई है कि दबंगई पर उतारु कानून और मानवाधिकार का सम्मान ना करने वाले किसी भी समूह को राज्य की ओर से समर्थन न दिया जाये. साथ ही उत्पीड़न तथा मानवाधिकार के उल्लंघन के लिये जिम्मेदार लोगों पर जल्द और कड़ी कार्यवाही हो.
इस पत्र में हाल ही में बस्तर के जगदलपुर में रहने वाली बेला भाटिया के घर पर करीब 30 लोगों द्वारा धावा बोले जाने तथा उन्हें बस्तर छोड़ देने की कथित धमकी दिये का विस्तार से उल्लेख किया गया है. संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि बीते कुछ महीनों में जगदलपुर लीगल ऐड नाम के समूह को बस्तर छोड़ना पड़ा है, स्क्रॉल की पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम तथा बीबीसी के आलोक पुतुल को बस्तर छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया गया था. इसके अलावा भी कई स्थानीय पत्रकार लिंगराम कोडोपी, संयोष यादव तथा समरू नाग को सताया जा रहा है. आम आदमी पार्टी के सोनी सोरी तथा सीपीआई के मनीष कुंजाम को प्रायः धमकाया जाता है.
हाल ही में आंध्रप्रदेश तथा तेलांगना के वकील, पत्रकार एवं मानवाधिकार के काम करने वाले सदस्य जब बस्तर दौरे पर थे तो उन्हें छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. दिल्ली की समाजशास्त्री नंदिनी सुंदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, पीयूसीएल, एमनेस्टी इंटरनेशनल तथा सुप्रीम कोर्ट ने बस्तर में मानवाधिकार के हनन की लगातार आलोचना की है.
125 प्रख्यात पत्रकार, संपादक, अर्थशास्त्री, फिल्मकार, अभिनेत्री तथा सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित पत्र में आरोप लगाया गया है कि बस्तर के आईजीपी एसआरपी कल्लूरी का मकसद है कि इलाके में चल रहे मनमानी के खिलाफ बोलना वाला कोई न हो. इन सब बातों के कारण बस्तर में बड़ी खतरनाक स्थिति पैदा होने की आशंका है. जहां सुरक्षाबल बिना किसी जवाबदेही के डंडा फटकारेंगे और जन साधारण के पास अपनी रक्षा के लिये कुछ नहीं बचेगा.
इस पत्र पर पत्रकार अरुंणधती राय, जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर चमनलाल, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डेबराज राय, नेशनल ज्यूडिशियल अकादमी के पूर्व निदेशक जी मोहन गोपाल, हावर्ड यूनिवर्सिटी के गौतम राय, पूर्व सालिसिटर जनरल गोपाल राय, अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह, गीतकार जावेद अख्तर, रांची यूनिवर्सिटी के ज़्याँ द्रेज, भारत सरकार के पूर्व सचिव केशव देसीराजू, लेखक मृणाल पांडे, फिल्मकार नंदिता दास, बिजनेस स्टैंडर्ड के सीनियर एसोसियेट एडीटर नितिन सेठी, इकॉनामिक एंड पॉलिटिकल वीकली के संपादक पारंजय गुहा ठाकुरता, फिल्मकार राहुल राय, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राजीव धवन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईआईटी दिल्ली के रविन्दर कौर, अभिनेत्री शबाना आज़मी, अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, एऩडीटीवी के मैनेजिंग एडीटर श्रीनिवासन जैन, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की सुनीता नारायण, टाइम्स ऑफ इंडिया के सलाहकार संपादक स्वामीनाथन अय्यर, योजना आयोग के पूर्व सदस्य सईद हमीद जैसे 125 जाने-माने पत्रकारों, प्रोफेसरों, फिल्मकारों ने हस्ताक्षर किये हैं.