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आरएनएआई तकनीक लाएगी जीव विज्ञान में क्रांति

बिलासपुर | एजेंसी: प्रत्येक जैविक घटना एक निश्चित समय में शुरू और बंद होती है. इसका संपादन आरएनएआई तकनीकी से होता है. इस तकनीक की जानकारी से रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु एवं विषाणु के डीएनए की क्षमता को साइलेंट किया जा सकता है. इस तकनीक से जीव विज्ञान में क्रांति आएगी.

बिलासपुर में इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग एवं बायोटेक्नालॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीति सनन मिश्रा ने उक्त बातें कही.

वनस्पति विज्ञान विभाग की एक दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने नई तकनीकों के संदर्भ में जानकारी दी. उन्होंने आणविक जीवविज्ञान की एक विशिष्ट शाखा आरएनएआई तकनीक पर व्याख्यान दिया.

डॉ. मिश्रा ने कहा कि यह तकनीक जीव विज्ञान की सभी शाखाओं वानिकी, भैषजिक विज्ञान, जन्तु विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी इत्यादि में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी. केंद्रीय विश्वविद्यालय में 8 फरवरी को ‘रीसेंट एडवांसेस इन प्लांट साइंसेस- आरएनएआई टेक्नालॉजी’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया.

मुख्य वक्ता डॉ. मिश्रा ने अपने उद्बोधन में वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नए शोध के संदर्भ में सभी को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि फीजियोलॉजी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जींस के माध्यम से संचालित होती है. यह कार्य विभिन्न प्रकार के प्रोटीन के द्वारा संपादित होता है. प्रत्येक जीव की एक निश्चित जीव घड़ी होती है जो उसके जीवन के सभी महत्वपूर्ण परिवर्तनों को तय करती है.

मुख्य अतिथि विश्वेश्वरैया चेयर प्रो. पीसी उपाध्याय ने कहा कि वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार से शोधार्थियों को लाभ मिलेगा. कुलसचिव आईडी तिवारी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से शोधार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत करने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाले शोध से सृजन होता है.

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