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छत्तीसगढ़ की तरह बिहार में भी बढ़े हुए आरक्षण पर रोक

पटना | डेस्क: छत्तीसगढ़ की तरह अब बिहार में भी हाईकोर्ट ने बढ़ाए गए आरक्षण कोटा पर रोक लगा दिया है.

बिहार सरकार ने पिछले साल नवंबर में बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (एसी, एसटी और ओबीसी के लिए) अधिनियम, 1991 में संशोधन कर आरक्षण बढ़ाकर 50 से 65 प्रतिशत कर दिया था.

अब पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से 2023 में पारित आरक्षण कोटा बढ़ाने के संशोधन पर रोक लगा दी है.

चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने बढ़े हुए आरक्षण कोटे को रद्द कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि यह असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने इसे ग़लत माना.

याचिका दायर करने वालों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% की सीमा से अधिक आरक्षण बढ़ाना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने 15 अगस्त 2019 को आरक्षण के दायरे को 58 फीसदी से 72 फीसदी तक पहुंचा दिया.

भूपेश बघेल सरकार ने अनुसूचित जाति के आरक्षण को 12 फीसदी से बढ़ा कर 13 फीसदी कर दिया.

उन्होंने सर्वाधिक बड़ा बदलाव अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में किया. अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी था, जिसे बढ़ा कर 27 फीसदी कर दिया गया.

लेकिन इस फ़ैसले के लागू होने से पहले ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.

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