इतनी मासूमियत कोर्ट में नहीं चलती रामदेव
नई दिल्ली | डेस्क : बाबा रामदेव ने अपने भ्रामक दावों के लिए सुप्रीम कोर्ट से फिर माफी मांगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इतने मासूम नहीं हैं. आपने अदालत की मनाही के बाद भी लगातार भ्रामक दावा जारी रखा.
रामदेव ने कहा कि किसी को भी गलत बताने का हमारा कोई इरादा नहीं था. कार्य के उत्साह में ऐसा हो गया. आगे से नहीं होगा.
बेंच ने कहा, “आपकी बहुत गरिमा है. आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है पर क्या वो काफ़ी है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आपने जो किया, उसके लिए हम आपको माफ़ कर दें? आपने क्या सोचा कि अगले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और अख़बारों में विज्ञापन देंगे?”
इसके बाद रामदेव ने कहा, “हमारी मंशा किसी के अपमान की नहीं थी. हमने आयुर्वेद में पहली बार 5000 से ज़्यादा रीसर्च किए हैं, आयुर्वेद को साक्ष्य आधारित दवा बनाने का सबसे बड़ा प्रयास किया है.”
अदालत ने रामदेव से पूछा कि उन्हें एलोपैथिक दवाइयों की निंदा करने की क्यों ज़रूरत पड़ी.
अदालत ने कहा, “अगर आपकी दवाएं काम करती हैं तो आपको उनके लिए मंज़ूरी लेने के लिए संबंधित अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था. प्रेस में जाना ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरकत है.”
योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम इसका ध्यान रखेंगे. रामदेव ने कहा, “मैं आज से जागरूक रहूंगा. इस तरह की बातें हों, ये मेरे लिए अशोभनीय है. उत्साह में ऐसा हो गया.”
आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “आयुर्वेद को सैकड़ों सालों से अवैज्ञानिक कहा जाता है, इसलिए हमने उत्साह में ऐसा कर दिया.”
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा, “आप अपना काम कीजिए लेकिन आप एलोपैथी का अनादर नहीं कर सकते.”
इसके बाद अदालत ने कहा कि वे ऐसा नहीं कह रहे कि पतंजलि को ऐसे ही छोड़ देंगे मगर इस मामले में बाद में कोई फ़ैसला लिया जाएगा.
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, “इतनी मासूमियत कोर्ट में नहीं चलती. हमने ये नहीं कहा कि आपको माफ़ी देंगे. आपके इतिहास को हम अनदेखा नहीं कर सकते.”
उन्होंने कहा कि पतंजलि ये सब तभी कर रहा है, जब कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण की बिना शर्त माफ़ी वाले हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि इन दोनों ने ‘ग़लती पकड़े जाने के बाद’ माफ़ी मांगी है.
मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.